कहानी पर एक नजर 20वीं सदी के ग्रामीण बंगाल के परिवेश पर आधारित नाटक की कहानी अनाथ व लाईलाज बीमारी से ग्रस्त लड़के अमल के इर्द-गिर्द घुमती है। बीमारी के कारण अमल अपने कमरे से बाहर जाने में असमर्थ होता है। इसी के चलते अमल अपने कमरे की खिड़की के पास से गुजरने वालों से बातें करने लगता है।
अपनी पीड़ा भूलकर वो उनसे बातें करता है। उसे तब खुशी मिलती है कि जब पडोस में डाकघर खुलता है। अमल इच्छा करता है कि राजा उसे पत्र लिखे। तब गांव का मुखिया उसे भ्रमित करने के लिए राजा के वैद्य का लिखा फर्जी पत्र दिखाता है कि आधी रात को राजा मिलने आएंगे। लेकिज जब राता वास्तव में आते है तब तक अमल का निधन हो जाता है।
केंद्र का कमजोर प्रमोशन केंद्र ने सोशल मीडिया पर प्रदर्शन कर नाटककारों को डिजिटल प्लेटफार्म तो दिया है, लेकिन प्रदर्शन में कमजोर प्रमोशन साफ नजर आया। करीब एक घंटे से अधिक अवधि की प्रस्तुति को 100 व्यूज भी नहीं मिले। आगे केंद्र को प्रदर्शन से पहले प्रमोशन पर भी ध्यान देना होगा।