शाहपुरा के छोटे से गांव उदावाला में जन्मे बाबूलाल मीना का बचपन यहीं गांव में ही बीता है और स्नातक तक शिक्षा भी यहीं से ग्रहण की। इसके बाद बैंक में नौकरी लग गई, लेकिन उनको बचपन से एक्टिंग करने, लिखने और गाने का शौक था। बचपन से उनका एक्टर बनने का सपना था। इसी शौक को पूरा करने के लिए उन्होंने बैंक में नौकरी करते हुए ही 2007 में फिल्मी दुनिया का सफर शुरू किया और 2008 में उनकी पहली फिल्म ताबीज दी पावर रिलीज हुई, जो सुपरहिट रही। इसके बाद ताबीज का सैकण्ड पार्ट ताबीज दी ताज बनाया। 2015 में बैंक की नौकरी हमेशा के लिए छोडक़र पूरी तरह से एक्टिंग व फिल्म मेकिंग में भाग्य आजमाने का मन बना लिया। बादल ने अब तक कुल चार फिल्में बनाई है। जिनमें से दो रिलीज हो चुकी और दो फिल्में जुलाई माह में रिलीज होने वाली है।
कलाकार बादल से पत्रिका से हुई बातचीत की पेश है एक रिपोर्ट…
1. छोटे से गांव के बाबूलाल से बादल बनने का सफर कैसा रहा
-2006 में फिल्म एक्टिंग व मेकिंग की ट्रेनिंग लेने के बाद बॉलीवुड पहुंचा तो कोई गॉडफादर नहीं होने से शुरुआत में काफी संघर्ष करना पड़ा। कई जगह ऑडिशन देने गया तो अच्छा रोल देने के बदले पैसे की डिमांड की गई, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और अंत में स्वयं ही फिल्म बनाने का फैसला कर लिया। पहली फिल्म बनाने में पैसा खूब खर्च हुआ, लेकिन चल गई। मेरा भी बचपन का नाम बाबूलाल था, जो कि बेहद सिम्पल था इसलिए मैंने भी अपना नाम बाबूलाल से बदलकर बादल रख लिया।
1. छोटे से गांव के बाबूलाल से बादल बनने का सफर कैसा रहा
-2006 में फिल्म एक्टिंग व मेकिंग की ट्रेनिंग लेने के बाद बॉलीवुड पहुंचा तो कोई गॉडफादर नहीं होने से शुरुआत में काफी संघर्ष करना पड़ा। कई जगह ऑडिशन देने गया तो अच्छा रोल देने के बदले पैसे की डिमांड की गई, लेकिन मैंने हार नहीं मानी और अंत में स्वयं ही फिल्म बनाने का फैसला कर लिया। पहली फिल्म बनाने में पैसा खूब खर्च हुआ, लेकिन चल गई। मेरा भी बचपन का नाम बाबूलाल था, जो कि बेहद सिम्पल था इसलिए मैंने भी अपना नाम बाबूलाल से बदलकर बादल रख लिया।
2. बैंक की नौकरी से एक्टिंग की दुनिया में कैसे पहुंचे -मेरी बचपन से कला में रुचि थी। मेरे अंदर एक कलाकार था। स्कूली पढ़ाई के दौरान भी कहानी, गीत लिखने और अभिनय करने का शौक था। इसलिए मेरा बचपन से ही कलाकार बनने का सपना था। बैंक की नौकरी के दौरान एक बार हैदराबाद ट्रेनिंग में जाने का मौका मिला तो वहां रामोजी फिल्म स्टूडियो को देखा, कई लोगों से मिला तो मुझे बहुत अच्छा लगा। बस उसके बाद मैंने बैंक से छुटटी लेकर एक्टिंग व फिल्म मेकिंग की ट्रेनिंग ली, बहुत सारी किताबे भी पढ़ी और फिर बॉलीवुड पहुंच गया।
3. आने वाली फिल्म के बारे में बताएं – मेरी आने वाली फिल्म ऑक्सीजन दी आइकोनिक ट्रूथ आदिवासी मीना जनजाति के इतिहास पर बनी पहली हिन्दी फिल्म है। यह पहली फिल्म है, जो मीना जनजाति के इतिहास के साथ एक प्रेम कहानी के रूप में सामने आएगी। जिसमें रोमांस, सस्पेंस व थ्रिलर सब है और मेलोडी से भरपूर गीत संगीत भी है।
4. फिल्मी करियर शुरू करने के बाद कोई उपलब्धि –
मैंने चारों फिल्मों में कहानी व गीत लिखने से लेकर स्क्रीन प्ले, डायलॉग और लीड एक्टर की भूमिका भी स्वयं ने ही निभाई है। चारों का निर्देशन भी खुद ने किया है। इस उपलब्धि के लिए पिछले साल गोल्डन बुक ऑफ वल्र्ड रिकॉर्ड में नाम दर्ज हुआ था। इन्हीं उपलब्धियों के लिए इस वर्ष एशिया अवार्ड -2022 के लिए चयन हुआ है।