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कोविद 19 संक्रमण के दौर में जारी है न्यायिक सक्रियता,कोर्ट में याचिकाओं का आना जारी

locationजयपुरPublished: Apr 10, 2020 09:30:31 pm

Submitted by:

Mukesh Sharma

(Covid19) कोरोना संक्रमण के इस दौर में भी (Judicial Activism) न्यायिक सक्रियता कम नहीं हुई है और अदालतें (Suomotu) स्व:प्रेरणा से तो संज्ञान ले ही रही हैं साथ में विभिन्न विषयों पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में (PIL) जनहित याचिकाएं भी निरंतर दायर हो रही हैं।

जयपुर
(Covid19) कोरोना संक्रमण के इस दौर में भी (Judicial Activism) न्यायिक सक्रियता कम नहीं हुई है और अदालतें (Suomotu) स्व:प्रेरणा से तो संज्ञान ले ही रही हैं साथ में विभिन्न विषयों पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में (PIL) जनहित याचिकाएं भी निरंतर दायर हो रही हैं। फिर चाहे वह स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करवाने का मामला हो या टैस्टिंग की कीमत का या लॉक डाउन के दौरान मजदूरों की परेशानियों का। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना टैस्ट फ्री करने,मजदूरों के लिए शैल्टर होम खोलने और उन्हें भोजन सहित मूलभूत सुविधाएं देने जैसे मामलों में प्रभावी निर्देश भी सरकार को दिए हैं। इस दौरान अलग—अलग मुददों पर जनहित याचिकाओं का दायर होना जारी है। ऐसे ही कुछ मामलोें में आने वाले सप्ताह में सुनवाई होनी है।

4जी इंटरनेट बंद करना शिक्षा के मूलभूत अधिकार के विपरीत—
अब जम्मू कश्मीर की करीब 2200 निजी स्कूल की एसोसिएशन ने एक जनहित याचिका दायर कर 4जी इंटरनेट शुरु नहीं करने को शिक्षा के मूलभूत अधिकार का उल्लंघन बताकर चुनौती दी है । याचिका में अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के बाद से इंटरनेट सहित अन्य पाबंदियों के कारण कई परेशानियों विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में हुए नुकसान को उठाया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि कोरोना संक्रमण के कारण स्कूल बंद हैं और 4जी इंटरनेट नहीं होने से आॅन लाईन पढाई नहीं हो पा रही है इसलिए सरकार के 18 जनवरी,24 जनवरी,26 मार्च और 3 अप्रेल,2020 के आदेश शिक्षा के मूलभूत अधिकार के विपरीत हैं। इन आदेश से सरकार ने जम्मू कश्मीर में इंटरनेट बंद करने और सीमित स्पीड में शुरु करने के आदेश दिए हैं।
गल्फ देशों से भारतीयों को वापिस लाने के लिए—
एक याचिका गल्फ देशेां में रहने वाले भारतीयों को वापिस लाने के लिए दायर हुई है। यह याचिका प्रवासी मजदूर कल्याण सोसायटी की लीगल सैल की ओर से दायर हुई है। याचिका में कहा है कि कोरोना संकट के कारण गल्फ देशों में करीब 9 लाख प्रवासी भारतीय काम करते हैं। अधिकांश मजदूर हैं और कोरोना संकट के कारण बेरोजगार हो चुके हैं तथा अपनी दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जूझ रहे हैं। गल्फ देशों में कोरोना पॉजिटिव केस बढने के बावजूद अधिकांश देश वास्तिवक संख्या और संक्रमित मरीजों की नागरिकता नहीं बता रहे हैं। अब तक केवल कतर ने ही बताया है कि कोरेाना पॉजिटिव पाए गए अधिकांश लोग प्रवासी मजदूर हैं। कतर में प्रवासी मजदूरों का सबसे बडा कैंप जेल में बदल चुका है और वहां हजारों निर्माण मजदूर फंसे हुए हैं और उनमें कई मजदूर कोरोना संक्रमण के शिकार हो चुके हैं। मजदूरों को उनके घरों में क्वाराईटाईन किया है लेकिन इन घरों में बडी संख्या में लोग रहने के कारण सोश्यिल डिस्टेसिंग संभव नहीं हैं। संक्रमित प्रवासी मजदूरों का इलाज करने से मना किया जा रहा है क्यों कि वहां इलाज महंगा है और अस्पतालों में बिस्तरों की सीमित संख्या है। याचिका में सरकार को गल्फ देशों में फंसे और संक्रमित हो चुके मजदूरों को भारत लाकर उनका उचित उपचार करने के निर्देश देने की गुहार की है।
अमेेरिका से भी भारतीयों को लाया जाए—
एक अन्य याचिका में कोरोना संकट के कारण अमेरिका में फंसे और परेशान हो रहे भारतीय नागरिकों को लाने के की गुहार की है। याचिका में देशव्यापी लॉक डाउन को सही बताते हुए सरकार के कार्यों की सराहना की है,लेकिन सभी इंटरनेशल वायुसेवा पर एक साथ पाबंदी को अमेरिका में रह रहे भारतीयों के लिए बडी परेशानी का कारण बताया है। याचिका में सरकार की पॉलिसी में दखल दिए बिना और एयरस्पेस लॉक डाउन को खत्म किए बिना अमेरिका में परेशान भारतीयों को वापिस लाने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश देने की गुहार की है। इसके लिए याचिका में कई सुझाव भी दिए हैं।
हॉट स्पॉट इलाकों में घर—घर हो टैस्टिंग,पीएम और सीएम रिलीफ फंड को भी चुनौती—
तीन वकीलों और एक छात्र की ओर से दायर जनहित याचिका में कोरोना संक्रमण के हॉट स्पॉट बने इलाकों में संक्रमण की चेन तोडने और संक्रमितों का पता लगाकर इलाज शुरु करने के लिए ऐसे इलाकों में तेजी से घर—घर टैस्टिंग करने की गुहार की है। इसके साथ ही याचिका में कोरोना संकट के लिए पीएम रिलीफ फंड और विभिन्न राज्यों में सीएम रिलीफ फंड बनाने को नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के विपरीत बताकर चुनौती दी है।
याचिकाकर्ताओं की दलील है कि करीब—करीब देश के हर कोने में फैल चुके संक्रमण को रोकने के लिए घर—घर टैस्टिंग जरुरी है। इसके लिए संक्रमण के हॉट स्पॉट बने शहरों और इलाकों को प्राथमिकता देनी होगी। याचिकाकर्ताओं ने देश में कम टैस्टिंग को गंभीर बताते हुए इंडियन कौंसिल आॅफ मेडिकल रिसर्च की 7 अप्रेल,2020 की रिपोर्ट को आधार बनाया है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत में 10 लाख लोगों पर मात्र 82 टैस्ट होना बताया है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इतनी कम टैस्टिंग के कारण ही कोरोना संक्रमितों की वास्तिवक संख्या का पता नहीं लग पा रहा है।
सफाई कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण दिए जाएं—
दिल्ली सफाई कर्मचारी आयोग के पूर्व चेयरमैन हरनाम सिंह ने जनहित याचिका दायर कर लॉक डाउन के दौरान भी सफाई व कचरा एकत्रित करने के काम में लगे सफाई कर्मचारियों को सभी प्रकार के प्रोेटेटिक्टव उपकरण उपलब्ध करवाने,कर्मचारियों सहित उनके परिजनों की तत्काल टैस्टिंग करवाने के निर्देश देने की गुहार की है। याचिका में बताया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सफाई कर्मचारियों को काम के दौरान पीपीई इस्तेमाल करने की सलाह दी है। इसमें आउटवियर के साथ ही ग्लॉवज,जूते,चश्मा,फेस शील्ड और मास्क पहनने को कहा गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि अधिकांश सफाई कर्मचारी गरीब हैं और बेहद भीडभरे इलाकों में रहते हैं। इसलिए यदि किसी को भी संक्रमण हुआ तो यह बहुत तेजी से फैल जाएगा।
हाईकोर्ट में भी पहुंचे मामले—
देश के विभिन्न हाईकोर्ट भी कोरोना संक्रमण से जुडे विभिन्न मुददों पर सुनवाई कर रहे हैं। केरल हाईकोर्ट में यूएई में फंसे भारतीयों को वापिस लाने के लिए याचिका दायर हुई है। तेलंगाना हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए फ्री में टैस्टिंग और इलाज करने के निर्देश देने के लिए याचिका दायर हुई है। कर्नाटक हाईकोर्ट गरीबों और मजदूरों की उचित सहायता नहीं देने के लिए सरकार की खिंचाई कर रहा है। इलाहबाद हाईकोर्ट ने लॉक डाउन के कारण आर्थिक तौर पर परेशान हो रहे वकीलों और मुंशियों के मामले में स्व:प्रेरण से प्रसंज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट,राजस्थान हाईकोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट जेलों से बंदियों की भीड कम करने की जनहित याचिकाओं और स्व:प्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई कर ही रहा है।

 

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