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जंक फूड से बच कर चलने की लगाते रहें जुगत

locationजयपुरPublished: Jun 22, 2019 05:00:27 pm

Submitted by:

Amit Purohit

विश्व स्वास्थ्य संगठन अपने सभी सदस्य देशों से आग्रह करता रहा है कि विज्ञापन और प्रचार के जरिए बच्चों में जंक फूड खाने को प्रोत्साहित करने जैसी गतिविधयों को कम किया जाए, इसमें यह सुझाव भी शामिल है कि स्कूलों और प्लेग्राउंड में किसी भी तरह के जंक फूड या शर्करायुक्त पेय के प्रचार से दूर रखने के हर संभव जतन किए जाए

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जंक फूड से बच कर चलने की लगाते रहें जुगत

हाल में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने सिफारिश की है कि स्कूली बच्चों के बीच सुरक्षित और पौष्टिक भोजन को बढ़ावा देने के प्रयास में स्कूल परिसर में और आसपास 50 मीटर के दायरे में अस्वास्थ्यकर भोजन या जंकफूड के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। एफएसएसएआई ने स्कूलों में सुरक्षित, पौष्टिक और पौष्टिक भोजन की उपलब्धता पर एक मसौदा विनियमन तैयार किया है और इसकी मंजूरी के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय को प्रस्तुत किया गया है।
क्या है ‘जंक फूड’
ज्यादा कैलोरी और नाममात्र के पोषण तत्वों वाले भोजन के लिए ‘जंक फूड’ संबोधन प्रचलित है। आमतौर पर पैक नाश्ते के रूप में आता है, जिसे तुरंत या थोड़ी तैयारी के बाद खाया जा सकता है। सामान्यत: फैट, सॉल्ट और सुगर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है जबकि प्रोटीन, फाइबर और विटामिन बहुत कम।
कैसे है सर्वव्यापी?
तुरंत खाए जा सकने वाले फास्टफूड की लोकप्रियता इतनी है कि 1995 में ओलम्पिक कमेटी ने एक सर्वेक्षण करवाया तो विश्व की सबसे बड़ी फास्टफूड चैन के शुभंकर रोनाल्ड मैकडॉनल्ड ने तुरंत पहचाने जाने के मामले में सांता क्लॉज को भी पीछे छोड़ दिया।
क्यों बैन हो जंक फूड?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पांच साल से कम उम्र वाले 41 मिलियन बच्चे मोटापे के शिकार है, उनमें भी 35 मिलियन बच्चे विकासशील देशों से हैं। वसा, चीनी या नामक की बड़ी मात्रा वाले भोजन से मधुमेह, कैंसर या ह्रदय संबंधी रोगों की भी चेतावनियां हैं।
जंकफूड पर बैन

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