ज्योति ने बताया कि बड़ी बहन के जब बेटी पैदा हुई तो अस्पताल वालों ने यह कहकर एक पौधा दिया कि आज पेड़ और बेटी बचाने की जरूररत हैं। यह देखकर मेरे मन में विचार आए कि समाज में कैसी स्थिती बन गई है कि पौधों की तरह लड़कियों को बचाने की जरूररत पड़ रही है। इसके 2014 में बीटेक पूरी होने के बाद पिता राजन चौधरी के साथ ही कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी सेल के साथ कार्य शुरु कर दिया। आज करीब 111 डिकॉय ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुकी है।
कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी सेल की ओर से किए जाने वाले डिकॉय ऑपरेशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। पूरे ऑपरेशन में एक गर्भवती महिला का होना बहुत जरूरी है। ऐसे में ज्योति गर्भवती महिला को समझाकर और समाज में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित करती हैं।
कन्या भ्रूण हत्या रोकने के साथ साथ ज्योति महिलाओं को मेडिकल टर्मिनेशन प्रेक्टिस एक्ट (एमटीपी) के बारे में भी जागरुक कर रही हैं। ज्योति का कहना है कि 18 वर्ष से अधिक उम्र की लड़की वह चाहे विवाहित है या नहीं कोई समस्या होने पर वह अबॉर्शन करवा सकती है। अगर वह शारीरिक, मानसिक या अन्य समस्या के चलते मां नहीं बनना चाहती तो अबॉर्शन करवाने का उसका हक है। लेकिन वह डर के चलते अनप्रोफेशनल दाई या नीम हकीम से दवाई दे गर्भ गिरा देती है। इससे उस महिला के स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है। इसलिए महिलाओं को जागरुक होना चाहिए कि वो सरकारी या किसी सर्टीफाइड डॉक्टर से यह काम करवाएं।