हैमस्ट्रिंग की चोट कबड्डी में रेड के दौरान पॉइंट लेकर वापस अपने पाले में भागते वक्त हैमस्ट्रिंग चोट लग सकती है। हमारी जांघ में तीन तरह की सेमिटेंडिनोसस, सेमिमेंबरानोसस और बाइसेप्स फेमोरिस हैमस्ट्रिंग मांसपेशियां होती हैं। इन तीनों के समूह को हैमस्ट्रिंग मांसपेशियों का समूह कहा जाता है। ये मांसपेशियां घुटने को मोडऩे का काम करती हैं और उसे लचीला बनाती हैं। लेकिन इन पर ज्यादा जोर देने पर यह खिंच जाती हैं, जिसे हैमस्ट्रिंग की चोट कहते हैं।
रोटेटर कफ कबड्डी में सामने वाले प्लेयर को खींचते वक्त गलत तरीके से दबाव बनने से कंधे में चोट से रोटेटर कफ की स्थिति बन सकती है। बाद में यदि इलाज कराने में लापरवाही की जाए तो मरीज को हाथ हिलाने में भी तेज दर्द होगा। इसमें कंधों के टेंडन में सूजन आ जाती है। कई बार हाथ या गर्दन में चोट लगने से भी यह समस्या हो जाती है। साथ ही कार्टिलेज, रोटेटर कफ का टूटना, कंधे की हड्डी बढऩे या बिना आराम के लगातार उपयोग से भी कंधे में दर्द हो सकता है।
नी कैप डिस्लोकेशन नी केप या जिसे पटेल्ला हड्डी भी कहते हैं, हमारे घुटने के ऊपर एक छोटी से सुरक्षात्मक हड्डी होती है। कभी घुटने के बल गिरने पर या खेल के दौरान अचानक दिशा बदलने पर यह हड्डी अपने स्थान से हट सकती है। इससे घुटने में तेज दर्द, सूजन और घुटने को सीधा करने में दर्द होना जैसे लक्षण देखे जाते हैं।
मेनिस्कस टियर हमारे घुटने के जोड़ में गद्देनुमा पदार्थ होता है जिसे मेनिसकस कहा जाता है। हमारे चलने या दौडऩे के दौरान मेनिस्कस दोनों हड्डियों को आपस में टकराने नहीं देता है। दोनों जोड़ों में ऐसे दो कार्टिलेज होते हैं। कबड्डी खेलते वक्त गलत मूवमेंट होने से इन कार्टिलेज में चोट लगने से मेरिस्कस टियरहो सकता है।
शोल्डर डिस्लोकेशन डॉ. एसएस सोनी ने बताया कि, कबड्डी के दौरान कंधे में चोट लगना सबसे आम समस्या है। कंधे को शरीर का सबसे लचीला जोड़ माना जाता है। हड्डियों, मांसपेशियों, लिंगामेंट और टेंडन्स से बना यह जोड़ अलग-अलग दिशाओं मे घूम सकता है। कंधे में फाइब्रस कार्टिलेज नामक मोटा छल्ला होता है जो कंधे के जोड़ के सॉकट की रिम को घेरता है। सॉकेट को मजबूती से स्थिर रखने में मदद करने वाला फाइब्रस कार्टिलेज कंधे के जोड़ को स्थिर रखने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मरीज के एक बार डिस्लोकेशन हो जाने के बाद यह कार्टिलेज भी खराब होता है।