कचहरी निर्माण के समय स्थापना जयपुर राजघराने की माजी साब ने बस्सी कस्बे में जब कचहरी बनवाई थी, उससे पूर्व इस गणपति मंदिर की स्थापना की थी और गणपति की पूजा करने के बाद ही कचहरी का कार्य शुरू करवाया था। गणेश मंदिर में क्षेत्र का कोई भी धार्मिक कार्य या शुभ कार्य शुरू हाने से पहले गणपति को प्रथम निमंत्रण देकर कार्य का शुभारंभ किया जाता है। क्षेत्र में शादी ब्याह से लेकर सभी शुभ कार्यों के लिए इस गणपति मंदिर में क्षेत्रवासी प्रथम निमंत्रण देकर रिद्धि-सिद्धि से आराधना कर अपना कार्य शुभारंभ करते हैं।
हर पखवाड़े चढ़ता है चौला गणेश मंदिर में हर पखवाड़े सिंदूरी चोला चढ़ाया जाता है और नित्य नई पौशाक धारण कराई जाती है। बुधवार के दिन कस्बे सहित क्षेत्र के लोग यहां बड़ी संख्या में पूजा अर्चना करने आते हैं। गणेश चतुर्थी पर्व पर यहां से पैदल यात्रा रवाना होती हैं, तो कई पैदल यात्राएं यहां पर पहुंचती हैं। गणेश चतुर्थी के पर्व पर यहां से गढ़ गणेश सवाई माधोपुर, मोती डूंगरी जयपुर तथा अन्य स्थानों के लिए यात्राएं रवाना होती हैं। वर्तमान में भादुका वंशज के पुजारी महेश भादुका ने बताया गणेश चतुर्थी पर गणेशजी को सतरंगी पौशाक पहनाई जाएगी और मोदकों का भोग लगाया जाएगा।
होती है भव्य भजन संध्या गणेश चतुर्थी के दिन देर रात भव्य भजन संध्या का आयोजन किया जाता है। इसमें प्रदेश सहित अन्य क्षेत्रों के कलाकारों द्वारा भजनों की प्रस्तुतियां दी जाती है। वहीं प्रात: से ही मंदिर के दर्शनार्थियों का मेला लगा रहता है। प्रात: 6 बजे मंदिर की महाआरती के साथ दर्शनार्थियों के लिए मंदिर के पट खोले जाते हैं, जो रात्रि करीब 12 बजे शयन आरती के साथ बंद होते हैं। प्रतिदिन यहां दो बार आरती का आयोजन होता है। आरती के साथ मोदकों का भोग लगाया जाता है।
पार्टियां ढोक लगाकर शुरू करती है प्रचार क्षेत्र में चुनाव के समय कई राजनीतिक पार्टियों के लोग व अन्य उम्मीदवार अपने चुनाव के समय इस मंदिर में ढोक लगाकर चुनाव प्रचार का शुभारंभ करते हैं और अपनी सफलता की कामना करते हैं। वहीं कई लोग अपने शुभ कार्य के लिए व प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे परीक्षार्थि भी यहां ढोक लगाकर अपनी सफलता की कामना करते हैं।