विधानसभा सत्र के पहले दिन दिन ना पक्ष लॉबी में फूट नजर आई। राज्यपाल के अभिभाषण के दौरान विपक्ष ने हंगामा किया और वॉक आउट कर दिया, लेकिन पूर्व विधानसभाध्यक्ष और भाजपा विधायक कैलाश मेघवाल सदन में ही बैठे रहे। कार्यवाही स्थगित होने के बाद मेघवाल ‘ना पक्ष लॉबी’ में पहुंचे और असली हंगामा इसके बाद हुआ।
सदन से बाहर नहीं आने को लेकर भाजपा विधायकों के साथ कैलाश मेघवाल की तीखी नोंक-झोंक हुई। मेघवाल ने तीखे तेवर दिखाए और पार्टी नेताओं को जमकर सुनाया। उन्होंने कहा कि जब मैं विधानसभाध्यक्ष था तब शॉर्ट नोटिस पर विधानसभा सत्र बुलाने का विरोध क्यों नहीं किया गया। मैंने सत्र बुलाने का विरोध किया था, लेकिन पार्टी के बाकी नेता लगे रहे मैच फिक्सिंग में लगे थे। अगर उस समय सरकार गलत नहीं थी तो अब सरकार कैसे गलत हुई? इस बात को लेकर मेघवाल की गुलाबचंद कटारिया और सतीश पूनियां के साथ बहस भी हुई। अन्य विधायकों ने मामला शांत करवाया।
उनको गलतफहमी हो गई थी कैलाश मेघवाल मामले पर भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने सदन के बाहर बयान दिया कि मेघवाल को कुछ गलतफहमी हो गई थी। उन्हें सदन से वॉकआउट करने की जानकारी नहीं थी, जिसकी वजह से वे बाहर नहीं आए। हालांकि पूनियां ने यह भी साफ किया कि पार्टी से बड़ा कोई नेता नहीं है।