scriptचंद्र ग्रहण के साथ नौ रेखा का सावा, प्रदेश में आज 5 हजार से अधिक शादियां | kartik purnima 2020: Over 5000 marriages in Delhi today | Patrika News

चंद्र ग्रहण के साथ नौ रेखा का सावा, प्रदेश में आज 5 हजार से अधिक शादियां

locationजयपुरPublished: Nov 30, 2020 03:07:52 pm

Submitted by:

santosh

देव उठनी के बाद दूसरा बड़ा सावा कार्तिक पूर्णिमा का माना जाता है। नौ रेखा के इस सावे में भी शादियों के साथ ही शुभ आयोजन भी किए जाते हैं।

marriage

marriage

जयपुर। आज कार्तिक पूर्णिमा का स्नान है और कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भी लग रहा है। हालांकि, उपछाया चंद्र ग्रहण होने की वजह से इसे भारत में नहीं देखा जा सकेगा।

कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को पड़ने वाला यह ग्रहण कुल 04 घंटे 18 मिनट 11 सेकंड तक रहेगा। जबकि, 3:13 मिनट पर यह अपने चरम पर होगा। यह चंद्रग्रहण रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में पड़ने वाला है।

यह चंद्र ग्रहण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और एशिया में दिखाई दे सकता है। कार्तिक पूर्णिमा के साथ ही आज देवताओं की दिवाली भी है। अधिकतर मंदिरों में शाम के समय दीपक जलाकर देवताओं की दिवाली मनाई जाती है लेकिन इस बार अधिकतर मंदिरों में बिना भक्तों के ही देवताओं की दिवाली मनने वाली है।

छह पूजा के बाद कार्तिक स्नान के लिए भी गलता के पट बंद हैं। गलता घाट में किसी को भी स्नान के लिए प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। कोरोना के चलते गलता प्रशासन ने यह कदम उठाया है। उनका कहना है कि हर साल कई पर्वों पर गलता तीर्थ में स्नान के लिए लाखों लोग आते हैं। लेकिन इस बार कोरोना के चलते सभी पर्वों पर गलता तीर्थ में प्रवेश बंद रखा गया है।

खासतौर पर स्नान और अन्य आयोजन करने वालों को लेकर। कोरोना गाइड लाइन की पालना सख्ती से की जा रही है। गौरतलब है कि गलता तीर्थ में स्नान करने के लिए जयपुर जिले के साथ ही आसपास के भी कई जिलों से भक्त बड़े पर्वों पर जमा होते हैं। गलता में एंट्री नहीं मिलने के कारण ही इस बार छह पूजा भी पानी के होद में खडें होकर मनाई गई थी।

मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान और दान करने से दस यज्ञों के समान पुण्य की प्राप्ति होत्ती है। शास्त्रों में इसे महापुनीत पर्व कहा गया है। कृतिका नक्षत्र पड़ जाने पर इसे महाकार्तिकी कहते हैं। कार्तिक पूर्णिमा अगर भरणी और रोहिणी नक्षत्र में होने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। गंगा के अलावा अन्य तीर्थों पर भी पपवित्र जल से स्नान कर पुण्य लिया जाता है।

देव उठनी के बाद दूसरा बड़ा सावा कार्तिक पूर्णिमा का माना जाता है। नौ रेखा के इस सावे में भी शादियों के साथ ही शुभ आयोजन भी किए जाते हैं। नौ रखा के इस सावे में जयपुर में समेत प्रदेश भर में पांच हजार से भी ज्यादा सावे किए जा रहे हैं। साथ ही वाहन और घर खरीदने के लिए भी इसे अच्छा मुहुर्त माना जाता है। ज्योतिषचार्यों का कहना है कि वैसे तो आज साल का अंतिम चंद्र ग्रहण भी है। लेकिन उपछाया होने के कारण इसका किसी भी तरह से कोई महत्व नहीं है। इस कारण इसे गंभीरता से लेने की भी जरुरत नहीं है। उपछाया होने के कारण सूतक या अन्य प्रक्रियाएं भी महत्वहीन हो जाती हैं।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो