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Dev Diwali 2020 Mythology देव दिवाली कैसे बन गई कार्तिक माह की पूर्णिमा, जानें इसकी पौराणिक कथा

locationजयपुरPublished: Nov 28, 2020 06:14:01 pm

Submitted by:

deepak deewan

सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बहुत महत्‍व है। इस दिन पावन स्नान और दान करने का पुण्य फल प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा भी की जाती है। सिख धर्म के अनुयायियों के लिए भी इस दिन का बहुत महत्व है। इसी दिन गुरु नानक देवजी का जन्मदिन भी मनाया जाता है।

Kartik Purnima Story Dev Diwali Tripurari Purnima Gurunanak Jayanti

Kartik Purnima Story Dev Diwali Tripurari Purnima Gurunanak Jayanti

जयपुर. सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का बहुत महत्‍व है। इस दिन पावन स्नान और दान करने का पुण्य फल प्राप्त होता है। कार्तिक पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा भी की जाती है। सिख धर्म के अनुयायियों के लिए भी इस दिन का बहुत महत्व है। इसी दिन गुरु नानक देवजी का जन्मदिन भी मनाया जाता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित एम कुमार शर्मा बताते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन दीपदान की भी परंपरा है। कार्तिक पूर्णिमा का दिन बेहद शुभ माना जाता है। यही कारण है कि नए व्यवसाय, शिलान्यास, मांगलिक कार्यों आदि की शुरुआत के लिए भी यह बहुत अच्‍छा मुहूर्त माना जाता है।
हिन्दू धर्मग्रंथों में इस दिन को त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से उल्लेखित किया गया है। मान्यता है कि त्रिपुरासुर के वध का दिन होने से ही इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा या त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दिवाली भी कहा जाता है. इससे भी एक पौराणिक कथा जुड़ी ह।
कथा के अनुसार दानव त्रिपुरासुर ने देवताओं को परेशान कर रखा था। तब भगवान शिव ने कार्तिक पूर्णिमा पर त्रिपुरासुर का वध किया था। त्रिपुरासुर की मृत्‍यु और उसके आतंक से मुक्ति मिल जाने की खुशी में देवताओं देवताओं ने स्‍वर्ग में दीये जलाए थे। इसलिए इस दिन को देव दिवाली भी कहा जाता है।
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