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शरद पूर्णिमा के साथ कार्तिक स्नान प्रारंभ, बदल गया गोविंद देव मंदिर में झांकी का समय

locationजयपुरPublished: Oct 13, 2019 11:37:16 am

Submitted by:

KAMLESH AGARWAL

शरद पूर्णिमा के साथ कार्तिक स्नान प्रारंभ, बदल गया गोविंद देव मंदिर में झांकी का समय

Kartik sanaan begins with Sharad Purnima

Kartik sanaan begins with Sharad Purnima

जयपुर।


हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का आठवां महीना कार्तिक होता है। पुराणों में कार्तिक मास को स्नान, व्रत व तप की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है। कार्तिक मास की शुरूआत सोमवार से होगी लेकिन कार्तिक मास स्नान की शुरूआज आज शरद पूर्णिमा से हो गई। आज सुबह गोविंद देव मंदिर में मंगला झांकी में बड़ी संख्या में दर्शनार्थी पहुंचे। गोविंद देव मंदिर के बाद दर्शनार्थियों ने ताड़केश्वर शिवालय, गोपीनाथ जी, राधादामोदर मंदिर में भी दर्शन किए। इस पूरे माह स्नान, दान, दीपदान, तुलसी विवाह, कार्तिक कथा का माहात्म्य आदि सुनते हैं। ऎसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है व पापों का शमन होता है। पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति इस माह में स्नान, दान तथा व्रत करते हैं, उनके पापों का अन्त हो जाता है।

पर्यावरण एवं स्वास्थ्य का महीना

मान्यता है कि सुबह स्नान करने के बाद देवदर्शन करना चाहिए। इसी के साथ तुलसी, पीपल, आंवले के वृक्ष की पूजा करनी चाहिए। यहां दीपक जलाने के साथ ही पौधों में जल चढ़ाया जाता है। इसी तरह शाम के समस भी दीप प्रवज्जलन का महत्व है यानिक कहा जा सकता है कि सूर्य तथा चन्द्रमा की किरणों के संपर्क में रहने से स्वास्थ्य का फायदा होता है और यह महीना हमें पौध रोपण की प्रेरणा देता है।
बदला गोविंद देव झांकी का समय

कार्तिक मास में होने वाली भीड़ की वजह से आज से ही झांकियों के समय में परिर्वतन किया गया है कुछ झांकियों का समय बढ़ा भी दिया है आज से ही मंगला झांकी सुबह साढ़े चार बजे से सुबह पौने छह बजे तक खुली रहेगी। इसी तरह धूप आरती का समय सुबह सवा आठ बजे से साढ़े नौ बजे तक कर दिया गया है शाम को होने वाली झांकियों का समय भी बढ़ाया गया है।
शरद पूर्णिमा पर विशेष झांकी

आज शरद पूर्णिमा है देवालयों में विशेष झांकी सजाने के साथ ही भगवान को खीर का भोग लगाया जाएगा। माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के साथ महारास किया था और इस दिन भगवान को खीर का भोग लगाकर चंद्रमा की रोशनी में रखकर रात 12 बजे बाद खाना चाहिए। गोविंद देव मंदिर में आज रात पूर्णिमा की विशेष झांकी खुलेगी। जिसमें भगवान के साथ चांदी की चौपड़ सहित अन्य प्रतिमाओं का रखा जाएगा और भगवान को खीर का भोग लगाकर प्रसादी वितरण होगा। ऐसी परंपरा के पीछे कारण है स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति। ऐसी मान्यता है कि चंद्रमा की 16 कलाएं होती है और अमावश्य से शुरू होकर पूर्णिमा तक चलती है यानि कि अमावश्य को जहां चंद्रमा की अदृश्य कला होती है तो पूर्णिमा पर पूरा चंद्रमा होता है और साल में केवल शरद पूर्णिमा ऐसा दिन है जब चंद्रमा से 16 कलाओं से प्रकाश एक साथ पृथ्वी पर आती है।
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