ये व्रत निर्जला होता है यानी इस दिन महिलाएं पानी भी नहीं पीती हैं। चतुर्थी पर चौथ माता की पूजा की जाती है। चौथा माता की पूजा की जाती है और चंद्रोदय के बाद चंद्र को अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद ही महिलाएं अपना व्रत खोलती हैं, भोजन करती हैं। करवा चौथ माता की पूजा में उनकी कथा पढ़ना और सुनना भी जरूरी है।
हालांकि, बदलते समय के साथ अब पुरुष भी अपनी पत्नी के लिए करवाचौथ कर व्रत कर उनकी लंबी आयु की कामना करते हैं। करवा चौथ को लेकर गुलाबीनगरी समेत प्रदेश के शहरों और कस्बों के बाजारों में इन दिनों काफी रौनक देखी जा रही है। करवाचौथ के लिए कपड़े, गहने, चूडिय़ां और अन्य सामान की खरीदारी की जा रही है।
चांद को छलनी से देखने की परंपरा करवाचौथ के दिन चांद को छलनी से देखने की परंपरा है। अब यह छलनी भी डिजाइनर हो चुकी है। पहले तो
साधारण ढंग की छलनियां चलती थीं, लेकिन अब चेंज आ चुका है और अब चांदी की छलनियां उपलध हैं। हालांकि, अब यह महज करवाचौथ पर काम आती हैं, पर नवविवाहित महिलाएं चाव से ऐसी छलनी खरीदती हैं। इसकी कीमत बाजार में 1500 से लेकर 3500 रुपए तक है।
इसके अलावा जरी गोटे से सजी छलनी की कीमत काफी पसंद की जाती हैं, जिनकी कीमत भी 120 रुपए से हजारों में जाती है। करवाचौथ के दिन मेकअप कराने आने वाली महिलाओं के लिए विभिन्न यूटी पार्लरों द्वारा स्पेशल पैकेज दिए जा रहे हैं।