script‘हिंदू आतंकी हमला दिखाने के लिए कसाब ने बांधा था कलावा’ | 'Kasab tied Kalava to show Hindu terrorist attack' | Patrika News

‘हिंदू आतंकी हमला दिखाने के लिए कसाब ने बांधा था कलावा’

locationजयपुरPublished: Feb 19, 2020 01:01:42 am

Submitted by:

Vijayendra

मुंबई हमला: पूर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया की किताब में खुलासा

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नई दिल्ली. 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमले में शामिल पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद अजमल आमिर कसाब अगर मौके पर ही मारा जाता तो भारत समेत पूरी दुनिया इस घटना को शायद हिंदू आतंकवाद मान रही होती।
26/11 हमले को अंजाम देने वाले पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने इसे भारत के ही हिंदुओं की ओर से किए गए आतंकवादी हमले का रूप देने की खतरनाक साजिश रची थी। इसके लिए कसाब की कलाई पर हिंदुओं के हाथ में बांधे जाने वाला पवित्र धागा ‘कलावा’ बांधा गया और पहचान पत्र (आइडी) में बेंगलूरु निवासी बताते हुए नाम समीर दिनेश चौधरी दिया था। यह सनसनीखेज खुलासा मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया ने अपनी पुस्तक ‘लेट मी से इट नाउ ’ में किया है।
उन्होंने लिखा है कि अगर लश्कर का प्लान सफल हो जाता तो उस रोज सारे अखबार और टीवी चैनलों पर ‘हिंदू आतंकवाद’ की हेडिंग ही दिखती, लेकिन लश्कर की साजिश पर पानी फिर गया। इस तरह फर्जी बेंगलूरु निवासी समीर दिनेश चौधरी हकीकत में पाकिस्तान के फरीदकोट का अजमल आमिर कसाब निकला। मारिया की किताब आने से पहले भी खबरों में बताया जा चुका है कि मुंबई हमलों में शामिल आतंकवादियों के पास हैदराबाद के अरुणोदय कॉलेज के आइडी काड्र्स थे।
रोजे में रची हमले की साजिश
मारिया के मुताबिक, मुंबई हमले की साजिश 27 सितंबर, 2008 को रची गई थी। उस दिन रोजे का 27वां दिन था।
दाऊद इब्राहिम गैंग को मिली थी कसाब की सुपारी
मारिया ने यह भी दावा किया है कि अंडरवल्र्ड डॉन दाऊद इब्राहिम गैंग को कसाब को मारने की सुपारी भी दी गई थी। मारिया ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, दुश्मन ( आतंकी कसाब) को जिंदा रखना मेरी पहली प्राथमिकता थी। कसाब के खिलाफ लोगों का आक्रोश और गुस्सा चरम पर था। मुंबई पुलिस के ऑफिसर भी आक्रोशित थे। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी (आइएसआइ) और आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा आतंकी कसाब को किसी भी हाल में उसे रास्ते से हटाने की फिराक में थे, क्योंकि कसाब मुंबई हमले का सबसे बड़ा और इकलौता सबूत था।
केंद्रीय एजेंसिंयों ने लीक की थी कसाब की तस्वीर
मारिया का कहना है कि कसाब की तस्वीर मुंबई पुलिस ने नहीं केंद्रीय एजेंसियों ने लीक की थी। उनका कहना है कि मुंबई पुलिस ने तो कसाब की सुरक्षा को खतरे की आशंका में उसकी पहचान उजागर नहीं होने देने की कड़ी भरपूर कोशिश की। पुलिस सुरक्षा की दृष्टिकोण से कसाब से जुड़ी किसी भी जानकारी को बाहर नहीं लाना चाहती थी। हम रोज उससे व्यक्तिगत पूछताछ करते थे। उसने मुझे आतंकवादी संगठन से जुड़ी कई गोपनीय जानकारी भी दी थीं। रोज की पूछताछ से कसाब और मेरे बीच संबंध बेहतर हो गए थे। वह मुझे सम्मान देते हुए जनाब कहने लगा था।
लूट के मंसूबे से लश्कर से जुड़ा था कसाब
मारिया ने अपनी किताब में दावा किया कि कसाब पहले लूट के मकसद से लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा, उसे जिहाद से कोई लेना-देना नहीं था। कसाब और उसका दोस्त मुजफ्फर लाल खान लूट से अपनी गरीबी मिटाना चाहता था। मारिया ने किताब में लिखा है कि कसाब को तीन राउंड की ट्रेनिंग के बाद सवा लाख रुपए और परिवार से मिलने के लिए हफ्ते भर की छुट्टी दी गई थी। उसने बहन की शादी के लिए परिवार को येे रुपए दे दिए थे।
नमाज पढ़ते लोगों को देख दंग रह गया
मारिया किताब में लिखते हैं कि कसाब मानता था कि भारत में मुस्लिमों को नमाज की अनुमति नहीं है और मस्जिदों को बंद रखा जाता है। मैंने अपने जांच अधिकारी रमेश महाले को गाड़ी से मेट्रो सिनेमा के निकट मस्जिद में ले जाने का आदेश दिया था, जब उसने मस्जिद में नमाज होते देखी तो वह दंग रह गया।
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