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छोटी काशी में कावड़ यात्राओं की धूम

locationजयपुरPublished: Aug 07, 2018 10:47:07 am

Submitted by:

Devendra Singh

सावन के सोमवार को छोटी काशी में कावड़ यात्राओं की धूम रही। भगवा एवं पीत वस्त्र धारण किए कावडि़ए गलता तीर्थ में स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना कर कावड़ों में जल भर कर बोल बम, ताड़क बम के जयकारें लगाते हुए अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए।

Kavad yatra started with Jai Bholenath

Kanwar Yatra

जयपुर। सावन के दूसरे सोमवार को छोटी काशी में कावड़ यात्राओं की धूम रही। भगवा एवं पीत वस्त्र धारण किए कावडि़ए गलता तीर्थ में स्नान करने के बाद पूजा-अर्चना कर कावड़ों में जल भर कर बोल बम, ताड़क बम के जयकारें लगाते हुए अपने गंतव्य के लिए रवाना हुए। कावड़ यात्राओं से पूरा शहर भगवामय हो गया। खास कर चारदीवारी और जेएलएन मार्ग भगवा रंग में रंगा हुआ नजर आया। कावडि़ए डीजे पर बज रहे भजनों पर थिरकते हुए भोलेनाथ के जयकारे लगाते हुए अपने गंतव्य की ओर रवाना हुए। कई स्थानों पर कावड़ यात्राओं का पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। मान्यता है कि सावन में भगवान शिव का जलाभिषेक करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है। इसके चलते शिवालयों में भक्तों का तांता लगा है। सुबह से लेकर शाम तक हर-हर भोले के जयकारे गुंजायमान है। कृषि नगर तारों की कूंट स्थित सर्व कामेश्वर महादेव मंदिर में गलताजी से लाई गई। कावड़ से भोलेनाथ का जलाभिषेक किया गया। भाजपा नेता महेन्द्र सिंह नरूका ने कावड़ यात्रियों का स्वागत किया। सर्वकामेश्वर महादेव कावड़ संघ के योगेश शर्मा मनीष जांगिड़, अखिल यादव, विजय चौधरी सहित अन्य लोगों ने भोले बाबा का अभिषेक किया। साथ ही सांगानेर, जगतपुरा, प्रतापनगर, झोटवाड़ा, आमेर, बस्सी आदि के लिए भी कावड़ यात्राएं रवाना हुई।
कावड़ की शुरुआत के पीछे ये कहानी

पहली कावड़ यात्रा को लेकर अलग-अलग मान्यताएं है। लेकिन उत्तर भारत में भगवान परशुराम को पहला कावड़ माना जाता है। शास्त्रों की मानें तो भगवान परशुराम शिव उपासक बताए गए हैं। उन्होंने शिव की पूजा अर्चना के लिए भोलेनाथ का मंदिर बनवाया। इस बीच कांवड़ में गंगाजल भरकर पैदल चलकर शिव मंदिर पहुंचे और जलाभिशेक किया। इसके बाद से कावड़ यात्रा का दौर चल पड़ा, जहां श्रद्धालु गंगोत्री से जल पैदल लेकर शिवालयों तक पहुंचते हैं और जलाभिषेक करते हैं। दरअसल, कावड़ यात्रा गंगोत्री, हरिद्वार गौमुख, पुष्कर, गलता तीर्थ आदि स्थानों से जल लाकर शिवजी का अभिषेक करते हैं।

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