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गजल सजा नहीं यूसुफ रईस क्या नहीं था जो उसे कहा नहीं
उसने मेरी बात को सुना नहीं। जो मिला मुझो मेरा नसीब है
मुझाको उसकी जात से गिला नहीं। बद्दुआ गरीब की जिसे लगी
वो ख़ुदा की मार से बचा नहीं।
गजल सजा नहीं यूसुफ रईस क्या नहीं था जो उसे कहा नहीं
उसने मेरी बात को सुना नहीं। जो मिला मुझो मेरा नसीब है
मुझाको उसकी जात से गिला नहीं। बद्दुआ गरीब की जिसे लगी
वो ख़ुदा की मार से बचा नहीं।
अब अदालतों का ये निजाम है
अब किसी भी ज़ुर्म की सजा नहीं। कल रहेगा वो नहीं जो आज है
कल तलक था आज वो बचा नहीं। अम्न की जो बांटता है रोशनी
वो चराग अब तलक बुझाा नहीं।
अब किसी भी ज़ुर्म की सजा नहीं। कल रहेगा वो नहीं जो आज है
कल तलक था आज वो बचा नहीं। अम्न की जो बांटता है रोशनी
वो चराग अब तलक बुझाा नहीं।
इसलिए मेरा वजूद बच गया
मुश्किलों से मैं कभी डरा नहीं।
मुश्किलों से मैं कभी डरा नहीं।