-कहा, नाजुक हिमालयी इलाका…खुदाई से अपूरणीय क्षति संभव नैनीताल। उत्तराखंड सरकार(Uttrakhand Government) ने हाईकोर्ट(High Court) को बताया है कि 2013 में हुए केदारनाथ आपदा(Kedarnath Tragedy) में अभी भी 3075 तीर्थयात्री लापता (Pilgrims Missing) हैं और लापता तीर्थयात्रियों को खोजने के लिये सरकार के पास कोई समुचित तकनीक मौजूद नहीं(Helpless) है। राज्य सरकार ने यह बात गुरुवार को न्यायालय में हलफनामा पेश करके कही। सरकार ने यह भी कहा है कि लापता तीर्थयात्रियों का पता लगाने के लिये केदारनाथ जैसे नाजुक हिमालयी इलाके की खुदाई करने से वहां की पारिस्थितिकी और पर्यावरण को अपूरणीय क्षति हो सकती है।
-मलबे के नीचे मानव अवशेषों का पता लगाना संभव नहीं सरकार ने गाजियाबाद निवासी अजय गौतम की जनहित याचिका के जवाब में यह जानकारी हाईकोर्ट को दी। सरकार की ओर से हलफनामे में यह भी कहा गया है कि मलबे के नीचे मानव अवशेषों का पता लगाना तकनीकी रूप से संभव नहीं है और खुदाई करने से उच्च हिमालयी क्षेत्र में किसी आपदा को आमंत्रित करने जैसा होगा।
-याचिककर्ता को प्रतिशपथ-पत्र पेश करने के निर्देश उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि केदारनाथ त्रासदी में लापता तीर्थयात्रियों को खोजने के लिए अदालत सरकार को निर्देशित करे, ताकि उनका हिन्दू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया जा सके। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजयवीर पुंडीर ने बताया कि हलफनामे को अदालत में गत बुधवार को रिकॉर्ड में लिया है, जिसमें कहा गया है कि इस त्रासदी में 3075 तीर्थयात्री अभी भी लापता हैं। इसके बाद न्यायालय ने याचिकाकर्ता से इस मामले में प्रतिशपथ पत्र पेश करने के निर्देश दिए हैं।
-याचिका में ये… याचिकाकर्ता की ओर से याचिका में कहा गया है कि उसने हाईकोर्ट से प्रार्थना की है कि अदालत सरकार को निर्देशित करें कि लापता तीर्थयात्रियों का पता लगाने के लिए विशेषज्ञों की अगुवाई में एक खोज दल का गठन करे और यह दल केदारनाथ घाटी में गौरी कुंड से लेकर चैराबारी ग्लेशियर और उसके आस-पास लापता तीर्थयात्रियों का पता लगाए।