उन्होंने मामले को अन्य बैंच के समक्ष सूचीबद्ध करने के लिए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए हैं। दरअसल सिंघवी व अन्य सात आरोपियों की याचिकाएं सोमवार को न्यायाधीश जी.आर.मूलचंदानी की कोर्ट में सूचीबद्ध थीं। अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल और ईडी के वकील राजदीपक रस्तौगी ने बताया कि सोमवार को जैसे ही सुनवाई का नंबर आया न्यायाधीश मूलचंदानी नाराज हो गए। उन्होंने भरी अदालत में कहा कि कुछ लोगों ने उन्हें इस केस में राहत देने के लिए संपर्क किया था। उन्होंने आरोपियों के वकीलों को अपने मुवक्किलों को समझाने को कहा तो वकीलों ने संपर्क करने वाले का नाम उजागर करने को कहा। कोर्ट ने आदेश में संपर्क करने वालों के संबंध कुछ नहीं लिखाया और मामले को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को भेजने के निर्देश दे दिए। गौरतलब है कि खान महाघूस कांड के इस मामले में पहले भी चार हाईकोर्ट न्यायाधीश सुनवाई से स्वयं को अलग कर चुके हैं।
ढाई करोड़ रुपए की रिश्वत के इस मामले में एसीबी ने आईएएस अशोक सिंघवी सहित कुल आठ आरोपियों को गिरफ्तार किया था। एसीबी के मुकदमे में सभी आरोपियों को जमानत मिल चुकी थी। एसीबी के मामले के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आरोपियों के खिलाफ मनी लॉड्रिंग के मामले में मामला दर्ज कर जांच शुरु की थी। जांच के बाद ईडी ने आठों आरोपियों के खिलाफ मनी लॉड्रिंग के आरोप में कोर्ट में शिकायत पेश की।
कोर्ट ने प्रसंज्ञान के बाद 21 जनवरी,2019 को सभी आरोपियों के गैर-जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिए। अदालत ने गैर-जमानती वारंट को जमानती वारंट में तब्दील करने की आरोपियों की अर्जी भी खारिज कर दी थी। इसके बाद आरोपियों ने एसीबी वाले मामले में हाजिरी माफी की अर्जी पेश की थी। कई बार आदेश होने के बाद भी जब आरोपी अदालत में पेश नहीं हुए तो ईडी ने अर्जी दायर कर कहा कि एक ओर आरोपी एसीबी केस में हाजिरी माफी मांग रहे हैं दूसरी ओर मनी लॉड्रिंग मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी होने के बावजूद पेश नहीं हो रहे हैं।
इस पर शनिवार को अदालत ने आठों आरोपियों की एसीबी वाले केस में जमानत रद्द कर दी थी। आरोपियों ने गैर- जमानती वारंट को जमानती वारंट में नहीं बदलने के मनी लॉड्रिंग कोर्ट के आदेश और प्रसंज्ञान आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है और सोमवार को इन्हीं याचिकाओं पर सुनवाई थी।