देर से दिखते लक्षण
किडनी रोगों के लक्षण जैसे भूख कम लगना, कमजोरी आना, सांस फूलना, मितली, खून की कमी आदि तब नजर आते हैं जब समस्या बढ़ जाती है। डायबिटीज और ब्लड प्रेशर के रोगियों में किडनी रोगों की आशंका अधिक होती है। वे साल में दो बार डॉक्टर से किडनी-यूरिन की जांच करवाएं। इससे गुर्दा रोगों की भी पहचान होती है।
वजन नियंत्रित रखें और लाइफ स्टाइल बदलें
लंबे समय में डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की समस्या है तो किडनी रोगों की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। इसके अलावा पथरी, कुछ आनुवांशिक या जन्मजात समस्या भी किडनी रोग की आशंका बढ़ा सकते हैं। डायबिटीज के मरीजों में फैटी लिवर की समस्या भी क्रॉनिक किडनी डिजीज का जोखिम बढ़ाती है। इसलिए एक्टिव लाइफ स्टाइल को अपनाएं एवं वजन नियंत्रित रखें।
प्रदूषण से भी खतरा
खानपान की अस्वस्थ आदतें और अत्यधिक दवाइयों के उपयोग से किडनी पर दबाव बढ़ता है। इसलिए डॉक्टर की सलाह से ही एंटीबायोटिक और पेनकिलर लें। इसके अलावा प्रदूषण वाले वातावरण में रहने एवं कैमिकल फर्टिलाइज्ड खाद्य पदार्थों के प्रयोग से भी किडनी रोगों की आशंका बढ़ जाती है। डिब्बाबंद, प्रिजर्वेटिव्स, शुगर और नमक युक्त एवं डीप फ्रीज्ड फूड्स भी किडनी की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं।
फ्रूट जूस लेने से बचें
किडनी रोगियों को गर्मी में डिहाइड्रेशन का विशेषतौर पर ध्यान रखना चाहिए। लेकिन शरीर में पानी की कमी को रोकने के लिए फलों का जूस लेना नुकसानदायक हो सकता है। असल में जूस में पोटैशियम की मात्रा ज्यादा होती है, जो रोग की गंभीरता बढ़ा सकती है। किडनी रोगियों के लिए साधारण नमक की जगह रॉक सॉल्ट एवं अन्य तरह के नमक का प्रयोग भी नुकसानदायक है।
कम मात्रा में लें प्रोटीन डाइट
कि डनी रोगियों को सामान्य व्यक्ति की तुलना में कम मात्रा में प्रोटीन डाइट लेनी चाहिए। स्वस्थ खानपान और दिनचर्या अपनाएं एवं अल्कोहल और स्मोकिंग से दूर रहें। खट्टे फलों की बजाय ककड़ी, खीरा, तरबूज, खरबूजा आदि को सीमित मात्रा में ले सकते हैं। ऐसी चीजें कम लें जो रक्त और फैट बढ़ाती हो। गोखरू, तृणपंचमूल, वरुण, पुनर्नवा आदि औषधियों से लाभ मिल सकता है। लेकिन विशेषज्ञ की सलाह से ही लें।
गुर्दा रोग विशेषज्ञ (नेफ्रोलॉजिस्ट) गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल डॉ. योगेश पांडे
वरिष्ठ राजकीय आयुर्वेद विशेषज्ञ, नई दिल्ली