ये नेता हो रहे शामिल
किसान नेता हिम्मत सिंह गुर्जर ने बताया कि किसान संसद में संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नेता बलवीर सिंह राजेवाल, जोगेंद्र उगराहा, गुरनाम सिंह चढ़ूनी, बूटा सिंह बूर्जगिल, डा. दर्शन पाल, रुल्दू सिंह मानसा, रमेंद्र सिंह, सुरजीत सिंह फूल आदि नेता पहुंच रहे हैं। ये सभी नेता 14 सितंबर की शाम 7 बजे तक जयपुर पहुंच जाएंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के इन नेताओं को ठहराने की व्यवस्था भी स्थानीय नेताओं की तरफ से की जा रही है।
मिल चुकी है कार्यक्रम की अनुमति
जयपुर पुलिस कमिश्नरेट ने किसान संसद के आयोजन को लेकर हाल ही में अनुमति जारी की है। इसमें आयोजनकर्ताओं से कोविड-गाइडलाइंस की कई शर्तों का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं।
टिकैत बोले , ‘अफवाहों पर ध्यान ना दें’
जयपुर में बुलाई गई किसान संसद में शामिल होने को लेकर किसान नेता राकेश टिकैत ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स के ज़रिये प्रतिक्रिया दी। इसमें उन्होंने साफ़ किया कि वे और किसान नेता युद्धवीर सिंह 15 सितंबर को जयपुर की किसान संसद में शामिल नहीं हो सकेंगे। किसान संसद में इन दोनों की मौजूदगी की खबरों को उन्होंने अफवाह करार दिया।
टिकैत ने कहा कि सोशल मीडिया में ये प्रचारित किया जा रहा है कि वे किसान संसद में शामिल होंगे। लेकिन 15 सितंबर के दिन दिनों नेताओं के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम होने के कारण वे इस किसान पंचायत में शामिल नहीं हो सकेंगे।
प्रश्नकाल और शून्य काल भी होगा
किसान संसद की कार्यवाही ठीक संसद सत्र की तरह चलेगी। इसमें प्रश्न काल से लेकर शून्य काल सहित संसद की तरह विभिन्न सत्र रखे जा रहे हैं। आयोजनकर्ताओं का कहना है कि किसान संसद में शामिल होने वाले किसान प्रतिनिधि एक सांसद के रूप में जयपुर स्थित बिड़ला ऑडिटोरियम पहुंचेंगे। इसके लिए उनसे बाकायदा एक हाईटेक तरीके से एन्ट्रीज़ मंगाई जा रही हैं। किसान संसद में शामिल होने के लिए सभी प्रतिनिधियों से एक गूगल फॉर्म अनिवार्य रूप से भरवाया जा रहा है।
‘हां’ पक्ष और ‘ना’ पक्ष भी होगा
किसान संसद में संसद की तर्ज़ पर दो लॉबी भी दिखाई देंगी। यहां ‘हां’ पक्ष और ‘ना’ पक्ष खासा आकर्षण का केंद्र रहेंगे। हालांकि संसद में पहुंचे किसान सांसदों को इन दो वर्गों में कैसे विभाजित किया जाए फिलहाल इस पर मंथन जारी है। किसान संसद के अंतिम प्रारूप को आयोजन के दिन से दो-तीन दिन पहले जारी किया जाएगा।
जनहित से जुड़े मुद्दों पर रहेगा फोकस
जानकारी के अनुसार ‘किसान संसद’ में प्रमुख रूप से केंद्र के तीन कृषि कानूनों के मुद्दे पर तो चर्चा होगी ही, इसके अलावा बढ़ती महंगाई और सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण सहित जनहित से जुड़े कई महत्वपूर्ण मसलों पर भी चर्चा होगी। इन अभी मुद्दों पर किसान सांसद अपने पक्ष रखेंगे। एक दिनी संसद के विभिन्न सत्र करीब 8 घंटे तक चलेंगे।