विशेषज्ञों के अनुसार अधिकतर भारतीय मरीज डॉक्टर के पास इलाज के लिए तब पहुंचते हैं, जब दर्द हद से बढ़ जाता है और इसका असर उनकी रोजमर्रा की जिंदगी पर पडऩे लगता है। इस तरह के पुराने मामलों में पारंपरिक चिकित्सा उपाय, जैसे दवाइयां या जीवनशैली में बदलाव, लंबे समय तक मरीज को उसके दर्द से राहत नहीं दिला पाते। ऐसी हालत में जोड़ों को बदलना (जॉइंट रिप्लेसमेंट) ही एकमात्र व्यावहारिक उपाय होता है।
शरीर का अतिरिक्त वजन घटाइए
नारायणा अस्पताल के आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. विजय शर्मा ने बताया कि किसी व्यक्ति में ज्यादा वजन होना गठिया रोग की शुरुआत होने के जोखिम के प्रमुख कारकों में से एक है। हमारे जोड़ों में एक निश्चित सीमा तक वजन उठाने की क्षमता है। शरीर का हरेक किलो अतिरिक्त वजन घुटनों पर चार गुना दबाव डालता है। अध्ययन में यह दिखाया गया है कि शरीर का 10 फीसदी अतिरिक्त वजन कम करने से गठिया रोग के दर्द में 50 फीसदी की कमी लाई जा सकती है।
एक्सरसाइज को अपना सबसे अच्छा दोस्त बनाइए
आमतौर पर लोग यह मानते हैं कि किसी तरह की शारीरिक मेहनत उनके दर्द को और बढ़ा देगी, लेकिन यह सच नहीं है। एक्सरसाइज से दर्द में राहत मिलने में मदद मिलती है। व्यायाम से आपके जोड़ों के आसपास की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इससे जहां एक ओर दर्द से राहत मिलने में मदद मिलती है, वहीं आपके जॉइंट्स के मूवमेंट में भी सुधार आता है। व्यायाम के लिए किसी भी शारीरिक गतिविधि जैसे तैराकी, चलना या बाइकिंग को अपनी रोजमर्रा की जीवनशैली में शामिल कर सकते हैं। इससे आपके जोड़ों की सेहत में हैरत अंगेज सुधार होगा।
जिंदगी को पूरी तरह जिएं -:
जोड़ों के दर्द के लिए सही समय पर डॉक्टरी सलाह लेने से आपको ज्यादा आरामदेह जिंदगी जीने में मदद मिल सकती है। आज आर्थोपेडिक्स में आधुनिक इलाज ने गठिया रोग को मैनेज करने में क्रांतिकारी बदलाव किया है। रोग के इलाज के पारंपरिक विकल्पों से लेकर सर्जिकल तरीकों जैसे मामूली सर्जरी और जॉइंट रिप्लेसमेंट थेरेपी से गठिया का आसानी से इलाज कराकर उसे मैनेज किया जा सकता है।
सेहत पर इलाज के नतीजे तभी बेहतरीन दिखते हैं, जब आपको इनकी जानकारी हो। मरीज को अपनी हालत के बारे में स्पष्ट रूप से पता होना चाहिए और इसमें सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। स्वस्थ्य जीवनशैली को अपनाने या रोग के बारे में डॉक्टरी सलाह लेकर गठिया के रोग को व्यावाहरिक तरीके से मैनेज करने की जरूरत है।