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जानिए कैसे गाय के गोबर से उगेगा पौधा

locationजयपुरPublished: Apr 26, 2018 01:08:46 pm

Submitted by:

Priyanka Yadav

गाय के गोबर से बनाया कागज, कागज में डाले गए बीज

paper craft
जयपुर . गाय की अहमियत को देखते हुए उसे माता की संज्ञा दी गई। हिम्मत नगर निवासी भीमराज शर्मा ने गाय के गोबर की एक और खूबी सामने लाकर इस महत्वता को बढ़ाकर पर्यावरण सुरक्षा से जोड़ दिया है। भीमराज शर्मा ने गाय के गोबर न केवल कागज बनाया बल्कि उस कागज में विभिन्न पौधों के बीज भी डाल दिए। जिससे उपयोग में लेने के बाद अगर कागज का कतरा भी मिट्टी के सम्पर्क में आया तो वहां पौधा उग जाएगा। उनका दावा है कि गोबर से कागज तैयार कर हजारों पेड़ों की कागज के लिए ली जाने वाली बलि को भी रोका जा सकता है।
हिम्मत नगर टोंक रोड निवासी भीमराज शर्मा पेपर प्रिटिंग के कार्य ये जुड़े हुए है। वर्षों से वह ये कार्य करते आ रहे हैं। गौमाता के प्रति अटूट श्रद्धा से उनके मन में कुछ नया करने की इच्छा हुई। गुरु निरंजन भाई और पुत्री जागृति शर्मा की पहल से नवम्बर 2016 में उन्होंने गाय के गोबर से पेपर तैयार करने की शुरुआत की। पेपर तैयार करने के लिए गौशाला से गोबर लिया और उसे गौमूत्र तथा कॉटन वेस्टेज से मिश्रित कर सीट तैयार कर दी। इस सीट को तैयार करने में न कैमिकल का उपयोग किया गया न ही ज्यादा पानी खराब हुआ। काम भी ऐसा की मशीनरी का उपयोग न के बराबर।
ये उत्पाद किए तैयार

गोबर से बने कागज से शर्मा कैरी बैग, चूड़ी रखने का डिब्बा,ऑफिस केस, डायरी, शादी कार्ड, लिफाफा, कलेण्डर, फाइल कवर के साथ ही कई दैनिक उपयोग की चीजें। ये सब बाजार में मिलने वाले कागज के उत्पाद से कहीं कम नहीं।
प्रकृति-गाय का संरक्षण और सुरक्षा

शर्मा की ओर से किए जा रहे कार्य से जहां पर्यावरण संतुलन बना रहेगा वहीं गाय भी सुरक्षित होगी। लोगों में गाय की सेवा करने की प्रवृति बढ़ेगी और गौशालाओं में आने वाले आर्थिक संकट से भी कही तक बचा जा सकेगा। गौशाला चलाने वाले लोग अगर इस कला को सीख लें तो गाय की उपयोगिता और बढऩे के साथ ही गौशालाएं आत्मनिर्भर होगी। इसके साथ ही अगर बड़े स्तर पर गोबर से पेपर तैयार होगा तो पेड़ों की बलि भी रोकी जा सकेगी।
न कैमिकल न ही नुकसानदायक

गाय के गोबर से तैयार कागज की सीट में किसी भी प्रकार का कैमिकल नहीं है। यह गौमूत्र और पानी से तैयार होती है। इसको काम लेने के बाद अगर फेंक दिया जाता है तो यह कागज दो से तीन दिन में गल जाता है। साथ कैमिकल का उपयोग नहीं होने के कारण जमीन को उपजाऊ बनाता है।
12 तरह के बीज

शर्मा के यहां तैयार सीट में 12 तरह की वनस्पति के बीज होते है। ये हर मौसम के अनुकूल होते है और मिट्टी में मिलने और थोड़े से पानी के साथ ही पौध तैयार हो जाती है। उन्होंने बताया कि गेंदा, तुलसी , राई, सरसों, मिर्च, टमाटर सहित 12 वनस्पति के बीज समाहित है।

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