जीएसटी से ऐसे मिल रहा लाभ… जीएसटी बिल जहां समय और प्रयास को कम करने में मदद करता है और सेवाओं के तेज वितरण के साथ उपभोक्ता को भी लाभ देता है। वहीं इसके आने के बाद से अब रिटेलर को राज्यों द्वारा लगाए गए अतिरिक्त कागजी कार्रवाई का समाना नहीं करना पड़ेगा। जबकि इससे पहले अंतर्राज्यीय डिलीवरी सेवाओं के लिए अलग-अलग बिलों को भरना पढ़ता था। तब अगर विक्रेता राजस्थान में है और खरीदार पश्चिम बंगाल से की हो, तो उसे यह सुनिश्चित करना होता था कि वह लॉजिस्टिक्स के लिए एक अलग बिल, राज्य कर के लिए एक अलग बिल फाइल करे।
ऑनलाइन शॉपिंग महंगा होने के बावजूद खरीदारी जारी… उधर इस नए जीएसटी के आने के बाद से भले ही विक्रेता पर बोझ कम हो गया हो, और प्रक्रिया ने वितरण को तेज कर दिया है लेकिन ऑनलाइन खरीदारी जीएसटी के तहत 1 जुलाई के बाद से मेंहगा हो गया है। ऐसा एक प्रतिशत की निश्चित दर से टैक्स जमा करने के कारण हुआ है। जिससे कि विक्रेताओं को भुगतान किया जा सके। और इसी कारण देश के साथ-साथ प्रदेश में ऑनलाइन शॉपिंग और अधिक महंगा बन गया है। हालांकि इसके बावजूद भी बिक्री में कोई खास अंतर नहीं दिखा है।
ई-कॉमर्स साइट्स पर गुणवत्ता का बढ़ा दबाव… राजस्थान स्थित एक ई-कॉमर्स साइट हेल्लोशोप्पेए डॉट कॉम के बिक्री एवं विपणन प्रबंधक का कहना है कि हम अपनी बिक्री की नियमितता में बहुत ज्यादा अंतर नहीं अनुभव कर रहे हैं, लोग उसी तरह खरीदारी कर रहे हैं, जैसा कि वे पहले खरीदते थे, लेकिन मैं बताना करना चाहूँगा कि जीएसटी के आने के बाद हम डिलीवरी और उत्पादों की गुणवत्ता के मामले में दबाव महसूस कर रहे है क्योंकि जब लोग बगै़र डिस्काउंट अधिक या उचित खर्च करते हैं तब लोगों की मांग बढ़ जाती है।
ये कहना है कि शैलेश अग्रवाल का… तो वहीं जीएसटी स्टार (GSTSTAR) के सह-संस्थापक शैलेश अग्रवाल का मानना है कि जीएसटी के आने के बाद यह कर व्यवस्था व्यापार को आसान करेगी। साथ ही उन्होंने उम्मीद है कि यह कर के अनुपालन में भी सुधार लाएगा और देश के जीडीपी विकास में भी जल्द ही तेजी देखने को मिलेगा। आपको बता दें कि जीएसटी का मकसद माल और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाए गए करों में पारदर्शिता लाना है।
बिक्री में नहीं दिखी कोई कमी… इसके साथ ही जो लोग जीएसटी का भुगतान करने के लिए जिम्मेदार हैं वो 20 लाख रुपए से अधिक की वार्षिक बिक्री वाले व्यापारी हैं। जबकि पूर्वोत्तर और पहाड़ी स्टेशनों में जीएसटी का भुगतान 10 लाख रुपए है। ई-कॉमर्स खुदरा विक्रेताओं ने ग्राहकों को लुभाने के लिए 25% से 80% तक के डिस्काउंट ऑफर के साथ अपने सभी अपूर्ण स्टॉक को बेच डाला है ताकि वे सुधार कर शासन-जीएसटी के तहत नया स्टॉक उच्चतम मूल्य में बेच सकें। आपनोराजस्थान.कॉम की एन. गोयनका का कहना है कि इस साल भी क्षा बंधन के अवसर पर बिक्री पिछले साल की तरह सामान्य थी, राजस्थान और भारत के अन्य राज्यों के अलावा हम अपने उत्पादों को विदेश में निर्यात करते हैं, लेकिन हमें जीएसटी के कारण हमारी बिक्री में कोई कमी देखने को नहीं मिली है।
गौरतलब है कि जीएसटी का ऑनलाइन ग्राहकों पर अब तक कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। जीएसटी के एक देश, एक कर प्रणाली के तहत कर के परिप्रेक्ष्य में दर लगभग समान हैं चाहे सामान कही से भी आ रहा हों। जो कि कारोबार के लिए फायदा पहुंचाने वाला है। जबकि इससे पहले टैक्स की दर अलग-अलग राज्यों में अलग थी।