scriptजानिए राजस्थान उच्च न्यायालय ने जयपुर बम ब्लास्ट मामले में क्या कहा | Know what the Rajasthan High Court said in the Jaipur bomb blast case | Patrika News

जानिए राजस्थान उच्च न्यायालय ने जयपुर बम ब्लास्ट मामले में क्या कहा

locationजयपुरPublished: May 18, 2020 10:07:09 pm

Submitted by:

KAMLESH AGARWAL

दोषियों के वकील को लिखित नोट पेश करने के आदेश

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High court bench will determine interim fees

जयपुर।

राजस्थान हाईकोर्ट में सोमवार को जयपुर बम विस्फोट डेथ रेफरेंस, दोषियों की अपील और राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई हुई। अदालत ने वकील को लिखित बहस पेश करने के निर्देश देते हुए मामले की सुनवाई 7 जुलाई तक स्थगित कर दी।
शहर में हुए 13 मई 2008 को सीरियल बम धमाकों के मामलों में विशेष न्यायालय ने 20 दिसंबर 2019 को मोहम्मद सैफ, सलमान, सैफुर्रहमान और सरवर आजमी को फांसी की सजा सुनाते हुए शाहबाज हुसैन को बरी कर दिया था। इस आदेश की पुष्टि के लिए न्यायालय से डेथ रेफरेंस और अभियुक्तों की ओर से अपील और राज्य सरकार ने शाहबाज के खिलाफ अपील पेश की है। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 7 जुलाई को तय करते हुए अभियुक्त के वकील को लिखित बहस पेश करने को कहा है।
दो अन्य मामलों में भी हुई सुनवाई
कोटा में 9 अक्टूबर 2014 को सात साल के रुद्राक्ष की हत्या हुई थी। मामले में अदालत ने 26 फरवरी 2018 को अंकुर पंडिया को फांसी की सजा सुनाते हुए उसके भाई अनुप को आजीवन कारावास, नौकर महावीर को चार साल व सिम विक्रेता करनजीत को दो साल की सजा दी थी। वहीं बहरोड में नाबालिग से दुष्कर्म के अभियुक्त को वर्ष 2019 में मिली फांसी के डेथ रेफरेंस पर उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। न्यायालय इस दोनों मामलो पर 13 जुलाई को सुनवाई करेगा।
वरिष्ठ आरएएस के अभ्यावेदन कार्मिक सचिव एक माह में फैसला करे

वरिष्ठ आरएएस का तबादला एसडीएम पद पर करने के मामले में कार्मिक सचिव को एक माह में निर्णय करने का आदेश राजस्थान उच्च न्यायालय ने दिए हैं। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए कार्मिक विभाग में अभ्यावेदन देने की छूट दी है।
वरिष्ठ आरएएस अधिकारी करतार सिंह याचिका दायर कर कहा कि वह बीसलपुर परियोजना में एडीएम पुनर्वास के पद पर कार्यरत था। राज्य सरकार ने उसका तबादला प्रतापगढ़ के धरियाबाद एसडीएम के पद पर कर दिया। जबकि एडीएम का तबादला एडीएम स्तर के पद पर ही किया जा सकता है। उसका पिछले करीब डेढ़ साल में आठ बार तबादला किया जा चुका है। जबकि वह गंभीर बीमारी से भी पीडित है। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से याचिका वापस लेने की इच्छा जताते हुए मामले में कार्मिक विभाग में अभ्यावेदन देने की छूट मांगी जिस पर न्यायाधीश सबीना की एकलपीठ ने याचिका का निस्तारण कर दिया।
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