scriptजानिए फिर से महापौर ने आवासन मंडल को क्यों दी चेतावनी | Know why the mayor warrning to the housing board | Patrika News

जानिए फिर से महापौर ने आवासन मंडल को क्यों दी चेतावनी

locationजयपुरPublished: Jul 28, 2018 11:53:48 am

Submitted by:

KAMLESH AGARWAL

जानिए फिर से महापौर ने आवासन मंडल को क्यों दी चेतावनी

mayor oppose

mayor visit

जयपुर।

नगर निगम और जेडीए-आवासन मण्डल के बीच सम्पत्तियों व रिकॉर्ड संबंधी विवाद में नया मोड़ आया है। महापौर अशोक लाहोटी ने नगरीय विकास व आवासन मंत्री को पत्र लिखकर कहा है कि कॉलोनियां दी हैं तो सम्पत्तियां भी दिलाओ। वरना कॉलोनियां वापस ले लो। पत्र में महापौर ने लिखा है, आवासन मण्डल द्वारा हस्तांतरित कॉलोनियों में आधारभूत सुविधाओं, सफाई सहित अन्य कार्यों पर नगर निगम 1000 करोड़ से ज्यादा रुपए खर्च कर चुका है। अब चुनावी वर्ष है, इन कॉलोनियों की परिसम्पत्तियों सहित समस्त रिकॉर्ड निगम को शीघ्र हस्तांतरित नहीं किया गया तो विकास कार्यों में व्यवधान पड़ेगा। अतिक्रमण व अनधिकृत निर्माण हटाने, सैटबैक निर्माण रोकने, नक्शा पास करने, भूमि की नीलामी जैसे काम प्रभावित होंगे। शिकायतों का निस्तारण नहीं हो पाएगा। महापौर के इस पत्र के बाद मंत्री व मण्डल के अधिकारी सकते में हैं।
सालों से चल रहा है विवाद
महापौर ने नगरीय विकास, आवासन एवं स्वायत्त शासन विभाग के 15 अप्रेल 2010 के आदेश का भी हवाला दिया है। इस आदेश में कहा गया है कि राजस्थान आवासन मण्डल द्वारा विकसित योजनाओं को निगम को हस्तांतरित करने के दौरान अवस्थित विक्रय योग्य सभी सम्पत्तियां भी हस्तांतरित की जाएंगी। हस्तांतरण के बाद इन सम्पत्तियों के बेचान से प्राप्त 100 फीसदी राशि निगम की रहेगी। हस्तांतरित की जाने वाली कॉलोनियों की सभी पत्रावलियां भी संबंधित निकाय को दी जाएंगी। नगरीय विकास विभाग का 21 अगस्त 2012 के आदेश का भी हवाला दिया है जिसमें अंकित है कि हस्तांतरित योजनाओं में अतिक्रमण, अनधिकृत निर्माण हटाने, सैटबैक वॉयलेशन रोकने, नक्शा स्वीकृत करने सहित अन्य कार्यवाही स्थानीय निकाय ही करेगा।
कई बैठकें, मंत्री भी नहीं सुलझा सके विवाद


जेडीए और नगर निगम के बीच भी आपसी विवाद है। जेडीए ने 600 से ज्यादा कॉलोनियां निगम को हस्तांतरित तो कर दीं लेकिन विकास कार्यों के लिए राशि नहीं दी। निगम ने भी इन कॉलोनियों में काम कराने से कन्नी काट ली। ऐसे में 1.50 लाख से ज्यादा आबादी विकास को तरस रही है। जबकि जेडीए और निगम के बीच 45 से ज्यादा बार पत्राचार हो चुका है। निगम ने 200 करोड़ रुपए मांगे लेकिन जेडीए ने उलटे 35 करोड़ रुपए बकाया निकाल दिए। इस बीच स्वायत्त शासन व नगरीय विकास मंत्री श्रीचंद कृपलानी के साथ कई बैठकें हुईं, निर्देश दिए गए लेकिन जेडीए, नगर निगम व आवासन मण्डल के बीच विवाद खत्म नहीं हुआ।

ट्रेंडिंग वीडियो