देसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कू काफी अच्छा है। दरअसल Koo देश की भाषाओं को काफी अच्छी तरह से जानता है। खास बात यह भी है कि कू एप के को फाउंडर मयंक बिदवतका हैं, जो राजस्थान के सीकर जिले के रहने वाले हैं। कू के को फाउंडर मयंक कहते हैं कि हमारा ये एप पूरी तरह से भारतीय है। हमारा काम हमारी क्षेत्रीय भाषा में है। कॉपी करके इसे नहीं बनाया है। बाहर के जो भी एप हैं, वो पूरी तरह से विदेशी हैं, उनकी अलग भाषा है। हमारे पास बहुत सारे ऐसे टूल्स हैं, जिनसे हर बात को आसान तरीके से लिखा, दिखाया या सुनाया जा सकता है।
Koo App के को फाउंडर मयंक कहते हैं कि भारत में काम करने वाले सोशल मीडिया प्लेटफार्म में बड़े बदलाव की ज़रूरत है। क्योंकि वो भारतीय क्षेत्र को नहीं जानते हैं। लेकिन हम काफी अच्छे से अपने देश को समझते भी हैं, महसूस भी करते हैं। पर हमारे देसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ब्रांडिंग और फीचर में पिछड़े है। डिजिटल इंडिया मुहिम के तहत देसी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म koo, sharechat, moj, josh लांच हुए, लेकिन बिना ब्रांडिंग इनके users कम हैं, जबकि सोशल मीडिया एक्सपर्ट्स का कहना हैं देसी प्लेटफॉर्म के सुरक्षा फीचर्स की ब्रांडिंग बेहद ज़रूरी है। कू को 3 करोड़ से ज्यादा लोग यूज कर रहे हैं। Koo पर टॉक टू टाइप फीचर (Talk To Type) और डार्क मोड फीचर (Dark Mode) के बाद अब Koo में ट्र्रान्सलेशन (Translation) फीचर भी हाल ही में पेश किया, जिससे यूज़र्स ऑटोमेटिकली अपनी कू (Koo- s) को रियल टाइम में 8 भारतीय लैंग्वेजे में ट्रांसलेट कर सकते हैं।
गौरतलब है करौली की घटना को लेकर सीएम अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर नज़र रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि घटना के पीछे कोई बड़ी साजिश भी हो सकती है। जाहिर तौर पर विदेशी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कई बार सवाल उठते रहे हैं।