उन्होंने कहा कि अशोक गहलोत सहकारी संघवाद की बात करते हैं और केन्द्र के कृषि कानूनों के खिलाफ विधानसभा में संशोधन विधेयक लाए हैं, जबकि हकीकत यह है कि केन्द्र सरकार द्वारा बनाये गये किसी भी कानून के खिलाफ राज्य सरकार कोई कानून नहीं ला सकती, फिर भी इस तरह का षड्यंत्र रचा जा रहा है। बेहतर होता कि प्रदेश की बिगड़ी हुई कानून व्यवस्था को दुरुस्त करने, महिलाओं एवं बच्चियों के लिए प्रदेश में सुरक्षित माहौल देने, लूट, डकैती, हत्या, दलित अपराधों पर लगाम लगाने की चर्चा सदन में होती।
पूनियां ने कहा कि कांग्रेस ने 2018 के विधानसभा चुनाव में सम्पूर्ण किसान कर्जमाफी का वादा किया था। खुद राहुल गांधी ने प्रदेश की एक जनसभा में 10 दिन में किसान कर्जमाफी का वादा किया था, लेकिन आज तक भी कर्जमाफी नहीं हुई, इस बारे में मुख्यमंत्री गहलोत मौन क्यों रहते हैं, क्यों वादा पूरा नहीं कर रहे हैं ? उन्होंने कहा कि वर्ष 2011, 2012, 2014 में कांग्रेस शासित राज्य कर्नाटक, असम, हिमाचल, मेघालय, हरियाणा में संविदा खेती की शुरुआत की गई थी, इस बात को कांग्रेसी भूल क्यों जाते हैं?