कटारिया ने उदाहरण देकर कहा कि जयपुर में किसान महापंचायत हुई थी मगर उसमें भी कोई कॉमन किसान नजर नहीं आया। कुछ तथाकथित किसानों के बीच काम करने वाले लोग और राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग ही वहां मौजूद रहे। संयुक्त किसान मोर्चा के नाम पर जगह-जगह इस प्रकार की किसान महापंचायत पहले भी कई जगह की गई, मगर उसका कोई खास असर नजर नहीं आया। कटारिया ने कहा कि मुझे किसी गांव में किसानों के बीच मौजूदा केंद्रीय कृषि कानून को लेकर ऐसी कोई चर्चा नहीं है कि उससे किसानों का अहित होगा।
उप चुनाव में किसान आंदोलन के असर पर कटारिया ने कहा कि इस किसान आंदोलन का उप चुनाव पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। हमने पंचायती राज चुनाव और नगरपालिका चुनाव में परिणाम देखा है, किसानों के आंदोलन का उस पर भी कोई असर नजर नहीं आया. कटारिया के अनुसार राजस्थान में श्रीगंगानगर या बांगढ़ के कुछ एक इलाके में छोटा-मोटा असर जरूर है, लेकिन आम किसान मौजूदा कृषि कानून को लेकर नाराजगी कहीं नजर नहीं आई।