मंदिर परिसर को ध्वज पतकाओं और रंग बिरंगी रोशनी से सजाया गया है। रात को मंदिर सतरंगी रोशनी से नहा उठा। श्रद्धालुओं को निशुल्क बांटे जाने वाले सागारी लाडूओं के थाल जयनिवास उद्यान में बनाए प्रसादी मंच में रखे जा रहे हैं। पुलिस और स्वयंसवेवी संस्थाओं के कार्यकर्ताओं ने अपनी-अपनी जिम्मेदारी संभाल ली है।
प्रवेश और निकास की व्यवस्था गोविंद देव जी मंदिर के व्यवस्थापक मानस गोस्वामी ने बताया कि सुबह मंगला झांकी से दर्शनार्थियों के दर्शन व्यवस्था प्रारंभ हो जाएगी। जलेब चोक से दर्शनार्थी प्रवेश करेंगे। एक लाइन पास धारकों के लिए तथा दो आम दर्शनार्थियों के लिए होगी। जो लोग जलेबी चौक से आएंगे उनका निकास जय निवास बाग पूर्वी गेट से होगा तथा जो दर्शनार्थी ब्रह्मपुरी, कंवर नगर की ओर से आएंगे वे चिंताहरण हनुमानजी मंदिर से होते हुए जय निवास बाग पश्चिम द्वार से प्रस्थान करेंगे।
मंगला झांकी के बाद धारण होगी विशेष पोशाक ठाकुरजी का 3 सितंबर को सुबह मंगला झांकी के बाद पंचामृत अभिषेक होगा। इसके बाद ठाकुरजी को नवीन पोशाक धारण कराई जाएगी। पोशाक साठ मीटर कपड़े से तैयार की गई है। इसमें तीस मीटर कपड़ा और तीस मीटर अस्तर है। पीले सिल्क की पोशाक पर आरी-तारी जरदोजी की कारीगरी की गई है। इसे एक माह में दस कारीगरों ने तैयार किया है। ठाकुरजी को पोशाक के साथ विशेष आभूषण धारण कराए जाएंगे साथ ही विशेष प्रकार के फूलों से श्रृंगार किया जाएगा।
897 किलो पंचामृत से होगा गोविंदाभिषेक जन्माष्टमी की मध्य रात्रि बारह बजे मंदिर महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सानिध्य में ठाकुरजी का पंचामृत से जन्माभिषेक होगा। यह 425 लीटर दूध, 365 किलो दही, 11 किलो घी, 85 किलो बूरा, 11 किलो शहद से तैयार होगा। भोग में पंजीरी लड्डू, खीरसा, कुल्हड़ रबड़ी शामिल रहेंगे। अभिषेक के बाद सभी भक्तों को पंचामृत और पंजीरी का वितरण जय निवास बाग में बने प्रसादी मंच से किया जाएगा। इससे पूर्व रात्रि 12 बजे 31 तोपों की सलामी दी जाएगी तथा विशेष आतिशबाजी होगी। इस दौरान छह पंडित वेद पाठ करेंगे। शालिग्राम और पंच द्रव्य पूजन के बाद ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक किया जाएगा।