कुलभूषण जाधव महाराष्ट्र के सांगली के रहने वाले हैं
उनका जन्म 1970 में हुआ, पिता का नाम सुधीर जाधव था
1987 में एनडीए में प्रवेश लिया
1991 में भारतीय नौ सेना में शामिल हुए
सेवानिवृति के बाद ईरान में व्यवसाय शुरू किया
29 मार्च 2016 को पाकिस्तान ने गिरफ़्तार किया
11 अप्रेल 2017 को पाक फौज अदालत ने मौत की सजा सुनाई
10 मई 2017 को इंटरनेशनल कोर्ट ने सजा पर लगाई रोक
उसके बाद बिना शर्त कॉन्सुलर एक्सेस देने को कहा
17 जुलाई 2019 को फिर से इस पर पाकिस्तान को विचार करने को कहा
11 अप्रेल 2017 को पाक फौज की अदालत ने उन्हें जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई। 10 मई 2017 को इंटरनेशनल कोर्ट ने जाधव की फांसी पर रोक लगा दी। क्योंकि भारत उनकी मौत की सजा के खिलाफ कोर्ट चला गया। 17 जुलाई 2019 को इंटरनेशनल कोर्ट ने उनकी फांसी पर रोक लगाते हुए पाकिस्तान से इस पर फिर विचार करने को कहा।
भारतीय अधिकारियों के मुताबिक ईरान में कुलभूषण का कार्गो व्यवसाय है। वो बंदर अब्बास और चाबहार बंदरगाहों से काम रहा था।
भारत काफी समय से कुलभूषण के मामले में काउंसलर एक्सेस की मांग कर रहा था। लेकिन पाकिस्तान की बदनियति के चलते कुलभूषण को राजनयिक पहुंच मुहैया नहीं कराई गई। इस मामले में भारत आईसीजे के पास पहुंचा और आईसीजे के फैसले के बाद कुलभूषण को काउंसलर एक्सेस दिया जा रहा है। हालांकि पाकिस्तान इसमें भी अपने कानूनों का हवाला देते हुए और राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन का हवाला भी दे रहा है।
पहले दो अगस्त को पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने कुलभूषण जाधव को दूतावास मदद मुहैया कराने की बात कह थी लेकिन इसमें दूतावास मदद की शर्तों पर दोनों देशों के बीच मतभेद हो गया था और दो अगस्त को निर्धारित बैठक नहीं हो सकी। इस पर एक तरह से पाकिस्तान के इरादों पर सवाल भी उठने लगे।
दरअसल पाकिस्तान ने दूतावास मदद के लिए जो शर्ते रखी थी उनमें एक शर्त कथित तौर पर यह थी कि जाधव भारतीय अधिकारियों से मिलेंगे, उस समय एक पाकिस्तानी अधिकारी भी मौजूद रहेगा।
आइये आपको बताते हैं क्या है कॉन्सुलर एक्सेस
वीसीसीआर के आर्टिकल 36 (1) (बी) में कहा गया है अगर किसी देश के नागरिक को दूसरे देश में गिरफ्तार किया जाता है तो दूसरा देश बिना देरी किए वीसीसीआर के तहत उस देश को जानकारी देगा, कि उसका नागरिक किन आरोपों के तहत गिरफ्तार किया गया।
आर्टिकल 36 (1) (सी) के तहत उस देश के अधिकारियों को वहां जाने का अधिकार है जहां व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तार नागरिक को कानूनी सहायता देना भी इस कानून में शामिल है।