जयपुर

राम ने केवल रावण से बात की, राक्षसों से नहीं, वहीं हमारी सरकार रावण से नहीं स्लीपर सेल से करती हैं बातचीत : कुमार विश्वास

Kumar Vishwas Show in Jaipur : हम धर्म को मानते है, धर्म की नहीं मानते – कुमार विश्वास, मानसरोवर स्थित दीप स्मृति ऑडिटोरियम में अपने-अपने राम कार्यक्रम आयोजित

जयपुरAug 03, 2019 / 09:41 pm

pushpendra shekhawat

राम ने केवल रावण से बात की, राक्षसों से नहीं, वहीं हमारी सरकार रावण से नहीं स्लीपर सेल से करती हैं बातचीत : कुमार विश्वास

जया गुप्ता / जयपुर। ‘हम धर्म को मानते हैं, मगर धर्म की नहीं मानते। राम के नाम पर आजकल मॉब लींचिंग ( Mob Lynching ), हिंसा हो रही है। जबकि राम जैसे सरल-सीधे और विनम्र कोई नहीं है।’ यह कहा राष्ट्रीय कवि कुमार विश्वास ( Kumar Vishwas ) ने। कुमार विश्वास शनिवार को मानसरोवर स्थित दीप स्मृति सभागार में अपने-अपने राम कार्यक्रम में बोल रहे थे। सद्भावना परिवार की ओर से आयोजित कार्यक्रम में कुमार विश्वास ने मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के माध्यम से जीवन प्रबंधन को समझाया। कार्यक्रम में मंत्री प्रमोद जैन भाया ( Pramod Jain Bhaya ), प्रताप सिंह खाचरियावास ( pratap singh khachariyawas ) भी शामिल हुए। वहीं पुष्पेंद्र भारद्वाज कार्यक्रम संयोजक रहे।
 

विश्वास ने कहा कि राम आतातायियों के खिलाफ लडऩे वाले पहले कमांडर थे। राम ने अपने जीवन में कई राक्षसों (स्लीपर सेल) का वध किया। कभी उनसे समझौता नहीं किया। बातचीत की तो केवल रावण से, क्योंकि स्लीपर सेल से समझौता नहीं होता। हमारी वर्तमान की सरकार स्लीपर सेल से बातचीत कर रही है। राम राज्य समझना चाहिए। दूसरे देश से बातचीत करो, लेकिन देश के आंतरिक दुश्मनों का खात्मा करो।

पिछले बीस वर्षों से राम को परमानेंट आइकन बना रखा

उन्होंने राजनैतिक दलों पर व्यंग्य करते हुए कहा कि हमारे देश में पिछले बीस वर्षों से राम परमानेंट आइकन हैं। एक पार्टी ने परमानेंट पट्टा ले रखा है। दूसरी पार्टी भ्रम में है कि नाम ले या नहीं। राम के जन्म का मामला तो सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट राम के जन्म के दिन राम नवमी पर छुट्टी करता है। राम को तो सब पूजते हैं, मगर राम के मार्ग पर नहीं चलते। महात्मा गांधी ने राम के मार्ग पर चलकर संघर्ष किया। राम सबसे बड़ी मोटिवेशन हैं। हमने उन्हें मंदिरों में कैद कर दिया। अपने जीवन में नहीं उतारा।

राम लोगों की पसंद से राजा बने थे

विश्वास ने कहा कि राम लोगों की पसंद (पीपल्स च्वाइस) के राजा थे। उन्होंने धरती पर घूम-घूम कर कार्य किया। वे चार्टड प्लेन से नहीं आते थे। लोगों के बीच रहते थे, इसीलिए सबकी पसंद थे। वे अयोध्या से दो बार बाहर निकले। एक बार ऋषि विश्वामित्र के साथ दस दिन के लिए और दूसरी बार चौदह साल वनवास के लिए। उन्होंने अपने समाज-परिवार को छोड़ा, तभी आगे बढ़े। अयोध्या में रहते तो सिर्फ राम बनकर रह जाते। जंगल-जंगल घूमे, इसीलिए मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम बने। लेकिन, हम नया प्रयोग करने से डरते हैं। जब तक अपने परिवार से बाहर नहीं निकलेंगे, सीखेंगे नहीं।

राम से सीखें समाजवाद

उन्होंने कहा कि राम का जीवन आदर्श जीवन है। जब उन्हें सिंहासन पर बैठाने की घोषणा हुई तो उन्होंने कहा कि चारों भाई एक साथ पैदा हुए, फिर राजा वे अकेले क्यूं बने। चौदह साल तक दोनों भाईयों के बीच सिंहासन का संघर्ष चला। वे एक-दूसरे से सिंहासन पर बैठने की कहते थे। यह समाजवाद ही है। राम के नाम पर दुकान चलाने वालों को यह सोचना चाहिए।
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