-सरकारी, अवाप्तशुदा भूमि पर बसी कॉलोनियों के नियमन के लिए भी स्पष्टीकरण जारी किया है। कॉलोनी 17 जून 1999 के पहले बसी हो या इसके बाद, इसके लिए भूखंडधारी से आरक्षित दर का 10 प्रतिशत या डीएलसी दर का 10 प्रतिशत जो भी हो कम, वह दर ली जाएगी।
-कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों में कोई सरकारी भूमि है तो उस भूमि के पेटे भी इसी दर से आवेदक से राशि ली जाएगी।
-बढ़े हुए क्षेत्रफल व खांचा भूमि आवंटन में भी यही दर लागू होगी, लेकिन यह 300 वर्गमीटर तक के भूखंडों पर ही लागू होगी।
-कृषि भूमि पर बसी कॉलोनियों में कोई सरकारी भूमि है तो उस भूमि के पेटे भी इसी दर से आवेदक से राशि ली जाएगी।
-बढ़े हुए क्षेत्रफल व खांचा भूमि आवंटन में भी यही दर लागू होगी, लेकिन यह 300 वर्गमीटर तक के भूखंडों पर ही लागू होगी।
निगमों में बीकानेर फिसड्डी, अजमेर आगे
प्रदेश में 213 निकाय हैं और इनमें 10 नगर निगम हैं। ऐसे नगर निगम अन्य निकायों के मुकाबले पॉवरफुल हैं। बजट, संसाधन के लिहाज से ज्यादा सुदृढ़ हैं। इसके बावजूद यहां काम में लापरवाही बरती जा रही है। हालात यह है कि बीकानेर नगर में आवेदन के अनुपात में केवल 11.28 प्रतिशत लोगों को ही पट्टे दिए गए। जबकि, अजमेर ने सबसे ज्यादा 70 प्रतिशत तक पट्टे जारी किए, लेकिन अन्य कार्यों में पिछड़ा हुआ है। जयपुर ग्रेटर निगम केवल 20.84 प्रतिशत और हैरिटेज में 22.84 प्रतिशत ही पट्टे जारी किए जा सके।
प्रदेश में 213 निकाय हैं और इनमें 10 नगर निगम हैं। ऐसे नगर निगम अन्य निकायों के मुकाबले पॉवरफुल हैं। बजट, संसाधन के लिहाज से ज्यादा सुदृढ़ हैं। इसके बावजूद यहां काम में लापरवाही बरती जा रही है। हालात यह है कि बीकानेर नगर में आवेदन के अनुपात में केवल 11.28 प्रतिशत लोगों को ही पट्टे दिए गए। जबकि, अजमेर ने सबसे ज्यादा 70 प्रतिशत तक पट्टे जारी किए, लेकिन अन्य कार्यों में पिछड़ा हुआ है। जयपुर ग्रेटर निगम केवल 20.84 प्रतिशत और हैरिटेज में 22.84 प्रतिशत ही पट्टे जारी किए जा सके।