अपनी पसंद की चीज छोटी के पास जाते देख आंसू ऋचा की आंखों से भी छलकते थे। बस फर्क इतना था कि वह चिल्लाती नहीं थी। मम्मी-पापा को भी ऋचा के साथ किए पर मन में बड़ी पीड़ा होती लेकिन इसके अतिरिक्त कोई उपाय भी न था। आज हमेशा की तरह वे दो दूध पीने के मिकी माउस बने मग लाए थे। एक पीले रंग का और दूसरा नीले रंग का था। ऋचा ने तुरंत ताड़ लिया कि नीले की हल्की-सी कोर चटकी हुई है।
उसने चाल चली। तुरंत आंखें बंद की और हाथ जोड़कर धीरे-धीरे से बुदबुदाई-
‘हे भगवान मुझो ब्लू कलर वाला मग दिलवाना।’
प्रेरिका हमेशा की तरह बड़ी को गहराई से देख रही थी। वह तुरंत चिल्लाकर बोली,
‘मुझो ब्लू मग चाहिए।’
ऋचा ने एक बार ब्लू की मांग कर कर दी फिर तो छोटी और भी अड़ गई।
अंत में ऋचा ने समझाौता करने का दिखावा करते हुए ब्लू मग प्रेरिका को दे दिया। दोनों अपनी जीत पर खुश हो रहीं थीं।
‘हे भगवान मुझो ब्लू कलर वाला मग दिलवाना।’
प्रेरिका हमेशा की तरह बड़ी को गहराई से देख रही थी। वह तुरंत चिल्लाकर बोली,
‘मुझो ब्लू मग चाहिए।’
ऋचा ने एक बार ब्लू की मांग कर कर दी फिर तो छोटी और भी अड़ गई।
अंत में ऋचा ने समझाौता करने का दिखावा करते हुए ब्लू मग प्रेरिका को दे दिया। दोनों अपनी जीत पर खुश हो रहीं थीं।
नीलेश और वत्सला आज छोटी बेटी के साथ हुई चीटिंग से दुखी थे। वह ऋचा की कठोर नजरों से चुप था। पर उसे अपनी गलती का अहसास हो रहा था। उसे समझ आ गया था कि अंजाने में की गई भेदभाव ने ऋचा को ऐसा करने पर मजबूर कर दिया था।