रोहिताश्व शर्मा टे्रन से उतर कर विभव गेस्ट हाउस पहुंचा। अंधेरा होने लगा था। बैग कपबर्ड में रखकर वह नहाने चला गया। आकर रिलैक्स कपड़े पहनकर लेट गया और मोबाइल हाथ में उठा लिया। मोबाइल के साथ ही सुबह घर से चलने के वक्त की बातें याद कर चेहरे पर मुस्कुराहट तैर गई।
‘मैंने आपका बैग तैयार कर दिया है। तीन पैंट, पांच शर्ट, पायजामा नीचे रख दिए हैं। शेविंग किट साइड वाली जेब में रखा है। तौलिया, नहाने के कपड़े ऊपर साइड में लगा दिए हैं।’
जाना उसे था लेकिन तैयारी कनिका कर रही थी।
‘मैंने आपका बैग तैयार कर दिया है। तीन पैंट, पांच शर्ट, पायजामा नीचे रख दिए हैं। शेविंग किट साइड वाली जेब में रखा है। तौलिया, नहाने के कपड़े ऊपर साइड में लगा दिए हैं।’
जाना उसे था लेकिन तैयारी कनिका कर रही थी।
‘अरे यार इतने से बैग में ही तो सब रखा है। मैं अपने आप ले लूंगा।’ उसने मोबाइल में नजरें गड़ाए उत्तर दिया लेकिन कनिका बिना रुके काम करते करते बोले जा रही थी- रोज बी. पी. की गोली लेना मत भूल जाना। मैंने आगे वाली छोटी जेब में …’
‘अरे यार मैं कोई बच्चा नहीं हूं। तुम एक काम करो जो तुम्हें कहना है उसका ऑडियो रिकॉर्ड कर दो। मैं उसे कड़वे प्रवचन के नाम से सेव कर लूंगा। जब भी तुम्हारी कमी महसूस होगी उसे सुन लूंगा।’
‘तुम ये मोबाइल पर किसके साथ लगे हुए हो। तुम कितने ही स्क्रीन टच कर लो लेकिन असली टच वाली तरंग इसमें कभी नहीं आएगी।’ कनिका ने हल्का गुस्सा दिखाते हुए कहा।
‘अरे यार मैं कोई बच्चा नहीं हूं। तुम एक काम करो जो तुम्हें कहना है उसका ऑडियो रिकॉर्ड कर दो। मैं उसे कड़वे प्रवचन के नाम से सेव कर लूंगा। जब भी तुम्हारी कमी महसूस होगी उसे सुन लूंगा।’
‘तुम ये मोबाइल पर किसके साथ लगे हुए हो। तुम कितने ही स्क्रीन टच कर लो लेकिन असली टच वाली तरंग इसमें कभी नहीं आएगी।’ कनिका ने हल्का गुस्सा दिखाते हुए कहा।
वह मोबाइल को झटका देकर हंस दिया। गेस्ट हाउस में खाने की व्यवस्था नहीं थी लेकिन बगल में एक अच्छा रेस्टोरेंट था। खाना खाकर कुछ देर मोबाइल पर गुजारते हुए वह सो गया। बीच रात में बेचैनी के साथ उसकी नींद टूट गई। उसके सीने में जलन के साथ दर्द हो रहा था। उसने मोबाइल में टाइम देखा। एक बजा था। उसने फिर सोने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी। वह नीचे गया। पहरेदारी कर रहे चौकीदार से पूछा ‘भैया ईनो मिलेगी क्या? पेट में बहुत जलन हो रही है।’
‘नहीं साहब। मार्केट सुबह खुलेगा तभी कुछ मिल पाना सम्भव होगा।’
‘नहीं साहब। मार्केट सुबह खुलेगा तभी कुछ मिल पाना सम्भव होगा।’
वापस जाकर पलंग पर लेट गया। दर्द के मारे बार बार करवट बदली लेकिन आराम कोसों दूर था। दर्द के साथ धीरे धीरे घबराहट बढऩे लगी थी। उसे कनिका के आधे सुने शब्द याद आए। ‘बी पी की गोली ..आगे की जेब में..।’ उसने गोली के लिए बैग के आगे के जेब की जिप खोली। वहां पांच पाउच ईनो के और एक स्ट्रैप बी पी की गोली की पडी थी। दर्द में फिर हंसी आ गई ‘कड़वे प्रवचन पूरे सुनने से सभी कष्टों का निवारण हो जाता है।’