scriptलघुकथा – निशानी | Laghukatha-Nishani | Patrika News

लघुकथा – निशानी

locationजयपुरPublished: Jan 23, 2021 11:27:47 am

Submitted by:

Chand Sheikh

पोती ने बड़े प्यार से दादी को कहा कि दादी लकीर पीट-पीटकर अपना दिल कमजोर करने से कौन-सा लाभ होगा! जिसने दिल दुखाया है उसकी तो हर निशानी मिटा देनी चाहिए। सुनो मेरी दादी! भावुक और कमजोर होकर नहीं गरिमामय होकर जिंदगी जीना चाहिए।

लघुकथा - निशानी

लघुकथा – निशानी

पूनम पांडे

रमा जी को कुछ महीनों से सारा आलम कितना मजेदार लग रहा था बस वे ही जानती थीं। पोती उनके शहर में ही नौकरी करने लगी थी। वह बहुत ही व्यावहारिक भी थीं। रमा जी को उसका हर अंदाज बड़ा अच्छा लगता था।
कहा भी गया है कि मूल से सूद अधिक प्यारा होता है। रमा जी उसे सहायिका की अनुपस्थिति में बड़ी ही तत्परता से कभी नाश्ता तो कभी लंच तैयार करते हुए देखतीं। यथासंभव मदद भी करना चाहतीं मगर मजबूरी ऐसी हो गई थी कि बस देख ही सकती थीं। उनका आधा शरीर लकवाग्रस्त था। वे कुछ बोल भी बड़ी मुश्किल से पाती थीं।
पर कुछ महीनों से तो उनकी आंतरिक ऊर्जा काफी बढ़ गई थी। वे इन दिनों एक और चीज गौर से महसूस कर रही थीं कि उनकी बाईस वर्षीय पोती रोज ही अपने कंप्यूटर की स्क्रीन पर एक खास तरह के मनोभाव के साथ बैठ जाती थी फिर कुछ ऐसा होता कि वह बहुत सारे शब्द मिटा देती थी।
रमा जी की अनुभवी नजर ने सारा माजरा भांप लिया था। वे बखूबी जानती थीं कि तकनीकी मीडिया के मनोभाव को आप एक पल के सौवें हिस्से में ‘डिलीट ऑल’ कह कर मिटा सकते हैं। लेकिन उनका भी जमाना था। जब एक कलम थी उस कलम से कागज पर लिखा भाव पूरी दुनियाँ के किसी न किसी कोने में भी कहीं न कहीं बचा रह ही सकता है। वही तुड़ा-मुड़ा कागज जब अचानक से हाथ लगता है तो धुंधले-से अक्षर उस गरमाहट का संचार भी कर जाते हैं, जो कभी उसमें उकेरने वाले ने यह सब लिखते हुए महसूस किए थे।
उस फटे से कागज पर वह टूटे-फूटे शब्द उन सुनहरी उमंगों को तरोताजा करके फिर से वह उम्र वापस लौटा लाते हैं। कब-किस पहर में उस कागज पर यह लिखा गया। मन की धूप फिर से रोशन कर देती है सब कुछ। आज की पीढ़ी शायद यह सब महसूस ही न कर सके। सब सोचते-सोचते उनसे रहा नहीं गया तो वे अपने विचार अभिव्यक्त करने को बैचेन-सी हो गईं। संकेत करके सब कुछ कह दिया। वे जो नहीं कह सकीं थीं वह भी उनकी पोती ने सब साफ-साफ सुन और समझा लिया था ।
पोती ने बड़े प्यार से दादी को कहा कि दादी लकीर पीट-पीटकर अपना दिल कमजोर करने से कौन-सा लाभ होगा! जिसने दिल दुखाया है उसकी तो हर निशानी मिटा देनी चाहिए। सुनो मेरी दादी! भावुक और कमजोर होकर नहीं गरिमामय होकर जिंदगी जीना चाहिए।
दादी भौंचक्की रह गईं। कांपते हाथों से गरिमामय पोती को खूब आशीष दिया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो