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लघुकथा-सांकल

locationजयपुरPublished: Sep 21, 2020 12:07:24 pm

Submitted by:

Chand Sheikh

मुकेश निराश कदमों से वॉशबेसिन की ओर बढ़ा। वह अपने हाथों को साबुन से धोने लग गया। मुकेश ने मेन गेट पर सांकल कसकर लगा दी।

लघुकथा-सांकल

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लघुकथा

रामविलास जांगिड

किरण को जैसे ही पता लगा कि उसका पति सूरज कोविड-19 का शिकार हो गया है और आज उसकी मृत्यु हो गई है, तो किरण एक वर्षीय आशा को गोद में लेकर फफक- फफक कर रोने लगी।
लॉ कॉलेज की बिल्डिंग पर काले बादलों का साया मंडरा रहा था। कोरोना महामारी के चलते इस बिल्डिंग में किरण अपनी बेटी सहित 30 लोगों के साथ क्वारंटाइन की गई थी। तीन वर्ष पहले ही सूरज के साथ शादी हुई थी। इसी लॉ कॉलेज के सामने के मिलन गार्डन में दोनों ने एक दूसरे को वरमाला पहनाई थी।
बीस दिन पहले ही हॉस्पिटल में भर्ती हुआ था सूरज। मेडिकल चेकअप किया तो पता लगा कि वह कोरोना पॉजिटिव है। पत्नी और बेटी को एहतियातन सरकारी क्वारंटाइन सेंटर भिजवा दिया गया। हॉस्पिटल में स्थानीय प्रशासन ने शव पुलिस को सौंप दिया। जहां उसे एक विशिष्ट मशीन के द्वारा श्मशान में ले जाकर जला दिया गया। अंतिम घड़ी में कोई न था सूरज के शव के पास। न पत्नी न मां-बाप और न ही कोई सगे-संबंधी।
लॉकडाउन में घर रहते मुकेश ने जब यह सपना देखा तो वह पसीने से लथपथ हो गया। उसने जल्दी से टीवी खोला तो उसमें एक संदेश बार बार फ्लैश हो रहा था- ‘घर में रहें। आप सुरक्षित रहें, दूसरों को भी रखें। प्रशासन द्वारा सुझााई गई सारी एडवाइजरी मानें।’ मुकेश निराश कदमों से वॉशबेसिन की ओर बढ़ा। वह अपने हाथों को साबुन से धोने लग गया। मुकेश ने मेन गेट पर सांकल कसकर लगा दी।
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