लघुकथा-अंधेर नगरी
नेताओं की कर्णकटु आवाजें, आकाश में चील कौवों का रूप ले अपना आकार बढा रही है, बढाए जा रही है।
बच्चों की टोली चिल्लाए जा रही है, अंधेर नगरी, चौपट राजा...।

लघुकथा- अंधेर नगरी
नीहार गीते
इधर समस्याएं बढती जा रही थीं। पानी, बिजली, पेट्रोल, सड़क, महगाई। लोग हैरान, परेशान, बेहाल थे। नेता आते, गांव की बदहाली पर घडिय़ाली आंसू बहाते, सेवाभाव लेते, चले जाते।
अतिवृष्टि की मार में पानी सिर से गुजर चुका था। गाडियों की चमक और कतारें अब गांव वालों को लुभाती नहीं थी। सरकारी अफसरों की कड़क वर्दियां अब आखों में रेशे डालती थी।
नंग धडंग़ बच्चे गांव में चिल्लाते घूमते, अंधेर नगरी, चौपट राजा...।
इस बार हाटगांव की युवा टोली ने ठानी थी कि अबकी जो भी वोट मांगने आएगा, भर चौपाल में सबके सामने ऐसी भद्द मारेंगे कि दुबारा पानी नहीं मांगेगे।
इलेक्शन पास ओते देख छुटभैयों के कंधों पर सवार हो वेशभूषा बदल, नेतागण फिर बयानबाजी पर अड़ गए। युवाओं ने इस बार इन्हें पत्थर मार खदेडऩे का तय किया था। सबने आवाज लगा एक दूसरे को इकट्ठा किया। हाथ से हाथ मिला ताकत का संचार किया।
वे सब मिलकर एक बड़ा पत्थर उन पर फेंकना चाहते हैं, पर यह क्या पत्थर टस से मस नहीें होता, अपनी जगह से हिल ही नहीं रहा है पत्थर। शायद बहुत नीचे दब गया है, उठता ही नहीं। कुछ और ताकत चाहिए। चलो, और लोग इकठ्ठा हो रहे हैं, पर यह क्या उनकी फोटो खींचने और वीडियो बनाने से आंखे मिचमिचा रही हैं। उधर नेताओं की कर्णकटु आवाजें, आकाश में चील कौवों का रूप ले अपना आकार बढा रही है, बढाए जा रही है।
बच्चों की टोली चिल्लाए जा रही है, अंधेर नगरी, चौपट राजा...।
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मानवता
अविनाश अग्निहोत्री
सौम्य भी आज पहली बार,अपनी पत्नी रागिनी के साथ मॉर्निंग वॉक पर आया है। मॉर्निंग वॉक करते हुए रागिनी एक नियत स्थान पर रुक गई। जहां आवारा कुत्तों का एक समूह शायद पहले से खड़ा उसकी ही प्रतीक्षा कर रहा था। रागिनी को देखते ही उन कुत्तों ने अपनी पूंछ हिलाकर जैसे उसका अभिवादन किया।
वह बैग से कुछ ब्रेड के पैकेट्स निकालकर,ब्रेड कुत्तों को खिलाने लगी। बड़े चाव से उन्हें ब्रेड खाते देख सौम्य और रागिनी भी बहुत खुश थे।
तभी सौम्य की नजर अचानक सामने फुटपाथ पर फटेहाल बैठे, एक भूखे व्यक्ति पर गई। जो बड़ी ललचायी नजरों से ब्रेड के उन टुकड़ों को देख रहा था।
यह देख सौम्य ने ब्रेड का एक पैकेट उसे भी दे दिया। इसे लेते हुए उस व्यक्ति के हाथ स्वत: ही सौम्य के आगे जुड़ गए।
यह देख रागिनी बिदकते हुए बोली-तुमने इनकी ब्रेड भिखारी को क्यों दी? ये इंसान कितने स्वार्थी और कपटी होते हंै, उनसे कहीं अच्छे तो ये मूक पशु हैं।
सौम्य उसे समझाते हुए बोला, हो सकता है तुम्हारी बात कुछ सही भी हो। पर सोचो रागिनी ये जानवर है, ये तो कुछ भी खाकर अपना पेट भर सकते हंै।
पर एक इंसान अगर भूख के मारे कुछ भी खाने को मजबूर हुआ, तब तो सारी मानवता शर्मसार हो जाएगी।
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