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लघुकथाएं- आईना और चादर देखकर

locationजयपुरPublished: Oct 19, 2020 11:57:22 am

Submitted by:

Chand Sheikh

प्रीति ने तल्खी भरे स्वर में कहा तो मंजू निरुत्तर हो गई। उसकी अपनी बेटी ने उसे आईना जो दिखा दिया था।

लघुकथाएं- आईना और चादर देखकर

लघुकथाएं- आईना और चादर देखकर

शीला श्रीवास्तव
आईना

सुबह से ही रसोई में व्यस्त थी। अपनी स्वर्गीय सास के लिए उनके मनपसंद के खाना जो बना रही थी। पूरा घर स्वादिष्ट पकवान की खुशबू से महक रहा था
‘वाह मम्मी, खाने की कितनी अच्छी खुशबू आ रही है क्या पका रही हो?’ प्रीति कढ़ाई का ढक्कन उठाते हुए बोली।
‘अरे-अरे रुको, जूठा मत कर देना। तुम्हारी दादी के लिए बनाया है, पहले वो खा लेंगी, फिर हम सभी खाएंगे।’ मंजू ने प्रीति को टोकते हुए कहा।
‘कैसी बातें कर रही हो मम्मी? दादी को गुजरे हुए साल भर होने को आया, वे भला आपके हाथ का बना खाना कैसे खा सकती हंै?’ प्रीति ने हैरत से पूछा।
‘अरे नहीं रे, उनके हिस्से का खाना हम कौए को खिलाएंगे ताकि उनकी आत्मा तृप्त हो जाए और हमारे
परिवार के ऊपर उनका आशीर्वाद बना रहे।’ मंजू ने बेटी प्रीति को समझाया।
‘वाह मम्मी, आपका भी जवाब नहीं है।

जब तक दादी जी रही थी तब तक तो आपको उनसे कुछ न कुछ शिकायत ही रही। ज्यादा -तर बचा-खुचा खाना ही उन्हें नसीब हुआ और आज जब वे इस दुनिया में नहीं है तो उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए उनके मनपसंद के पकवान बनाए जा रहे हैं ताकि उनका आशीर्वाद हमारे ऊपर बना रहे।’
प्रीति ने तल्खी भरे स्वर में कहा तो मंजू निरुत्तर हो गई। उसकी अपनी बेटी ने उसे आईना जो दिखा दिया था।
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डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी
चादर देखकर

कोरोना से पीडि़त दो आदमी एक ही निजी अस्पताल में भर्ती हुए। पूछताछ कर एक का नाम दर्ज किया गया ‘लाख’ और दूसरे का नाम ‘करोड़’।
दोनों से पूछा गया, ‘क्या मेडिकल बीमा करवा रखा है?’ दोनों का उत्तर तो हां था लेकिन स्वर-शक्ति में अंतर था।
बहरहाल, दोनों से उनकी आर्थिक-शक्ति और बीमा की रकम के अनुसार फीस लेकर अस्पताल में अलग-अलग श्रेणी के कमरों में क्वारेंटाइन कर दिया गया। लाख के साथ एक मरीज और था, जबकि दूसरे कमरे में करोड़ अकेला था। लाख को इलाज के लिए दवा दी गईं, करोड़ को दवा के साथ विशेष शक्तिवर्धक टॉनिक भी। फिर भी दोनों की तबियत बिगड़ गई।
लाख को जांचने के लिए चिकित्सक दिन में अपने समय पर कुछ मिनटों के लिए आता तो करोड़ के लिए चिकित्सक का समयचक्र एक ही बिन्दू ‘शून्य घंटे शून्य मिनट’ पर ही ठहरा हुआ था। उसके बावजूद भी दोनों का स्वास्थ्य गिरता गया। दोनों को वेंटीलेटर पर ले जाया गया।
कुछ दिनों के बाद…
लाख नहीं रहा…
और करोड़ के कुछ लाख नहीं रहे।
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