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पंचायत-जिला परिषद के चौथे चरण के प्रचार का आज आखिरी दिन, प्रत्याशियों ने दिखाई ताकत

locationजयपुरPublished: Dec 03, 2020 10:39:54 am

Submitted by:

firoz shaifi

21 जिलों में चौथे और अंतिम चरण का मतदान पांच दिसंबर को होगा, 12 जिलों के 50 निकायों में आज नाम वापसी का आखिरी दिन

जयपुर। प्रदेश के 21 जिलों में पंचायत और जिला परिषद चुनावों के चौथे और अंतिम चरण के प्रचार का आज आखिरी दिन है। प्रचार के आखिरी दिन कांग्रेस-भाजपा सहित क्षेत्रीय दलों ने अपने अपने प्रत्याशियों के समर्थन में पूरी ताकत झोंक दी है।

आज दोपहर बाद प्रत्याशी रोड शो और नुक्कड़ सभाओं के जरिए जमकर प्रचार करेंगे। शाम पांच बजे प्रचार थम जाएगा, जिसके बाद प्रत्याशी केवल घर -घर जाकर ही अपने लिए वोट और समर्थन मांग सकेंगे। पंचायत जिला परिषद के चौथे और अंतिम चरण के चुनाव के लिए मतदान 5 दिसंबर को सुबह 7.30 बजे से होगा।

वहीं दूसरी ओर प्रदेश के 12 जिलों की 50 निकायों में हो रहे चुनाव में आज नाम वापसी का आखिरी तारीख है। दोपहर तीन बजे तक प्रत्याशी नाम वापस ले सकेंगे। शाम पांच निकाय चुनाव के फाइनल प्रत्याशियों की सूची जारी की जाएगी।

विधायक ने संभाला प्रचार का जिम्मा
21 जिलों में हो रहे पंचायत और जिला परिषद चुनाव में प्रचार का जिम्मा दोनों प्रमुख दल कांग्रेस-भाजपा के विधायकों के पास रहा है। भाजपा-कांग्रेस के विधायक इन चुनावों को अपने लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न मानते सघन प्रचार कर रहे हैं। इन चुनावों में अपने-अपने प्रत्याशियों को जीत दिलाने के लिए दोनों ही पार्टियों के विधायक अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। आज प्रचार के आखिरी दिन भी विधायक प्रचार का जिम्मा संभाले हुए हैं।

गौरतलब है कि प्रदेश के अजमेर, बांसवाड़ा, बाड़मेर, भीलवाड़ा, बीकानेर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, चूरू, डूंगरपुर, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालोर, झालावाड़, झुझूनूं, नागौर, पाली, प्रतापगढ़, राजसमंद, सीकर, टोंक और उदयपुर जिले में ये चुनाव हो रहे हैं।

निकाय चुनाव में बागी बनें टेंशन
वहीं 12 जिलों की 50 निकायों में आज नाम वापसी का आखिरी दिन है, लेकिन भाजपा और कांग्रेस के बागी प्रत्याशियों ने दोनों दलों की टेंशन बढ़ाई हुई है। हालांकि भाजपा से ज्यादा कांग्रेस को अपने बागियों के विरोध का सामना करना पड़ा है। हालांकि कांग्रेस के लिए राहत के लिए बात ये हैं कि कई बागियों को मनाने में नेता कामयाब भी हुए हैं, लेकिन ज्यादातर अभी भी चुनाव मैदान में डटे हैं। ऐसे में आज कांग्रेस के लिए बागियों को मनाना किसी चुनौती से कम नहीं है।

बागियों से होगा नुकसान
अगर आज नाम वापसी के समय तक कांग्रेस बागियों को मनाने में कामयाब नहीं हो पाई तो माना जा रहा है, बागियों के चुनाव मैदान में डटे रहने से कांग्रेस प्रत्याशियों को नुकसान होना तय है। इसका एक उदाहरण हाल ही में हुए 6 नगर निगमों के हुए चुनाव में देखने को मिला था, जहां बागियों के चलते कांग्रेस प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा था।

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