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जयपुर

जंगल से खुश खबर: आबोहवा बदली, 8 बघेरे बढ़े,पगमार्क व खरोंच को माना आधार, वन्य प्रेमियों में खुशी

-सानकोटडा एवं डगोता नाका क्षेत्र का मामला

जयपुरJan 01, 2018 / 10:07 pm

vinod sharma

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आंधी (जयपुर)। सरिस्का बाघ परियोजना में शामिल जमवारामगढ़ अभयारण्य क्षेत्र के सानकोटड़ा व डगोता नाका क्षेत्र न सिर्फ बाघिन एसटी-9 के शावक एसटी-15 को रास आने लगा है, बल्कि गत दिनों की गई गणना में पैंथर, जरख सहित अन्य वन्य जीवों की संख्या में इजाफा हुआ है। खास बात ये है कि डगोता क्षेत्र में तो पिछले वर्ष की तुलना आठ बघेरे बढ़े हैं। इससे वन्य जीव प्रेमियों एवं वनकर्मियों में खुशी है।
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जानकार सूत्रों के अनुसार सानकोटड़ा नाका क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक मार्बल की खदान संचालित होने होने से वन्यजीवों का विचरण कम था। वन्य जीवों की सुरक्षा एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002-03 में सभी खदान बंद करने के आदेश देने के बाद खदानें बंद हो गई, लेकिन खदानों में पड़े मार्बल स्लैब को ले जाने के लिए खनन माफिया की ओर से ब्लास्ट करने से वन्य जीवों की स्वछंदता में खलल रहा।
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इसके बाद वन विभाग ने वर्ष 2013 में जमवारामगढ़ वन्य जीव अभ्यारण्य के अधीन सानकोटड़ा एवं डगोता नाका क्षेत्र का 65 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र सरिस्का बाघ परियोजना में शामिल किया। इसके बाद वर्ष 2014 से 2016 के बीच वनकर्मियों की सख्ती के चलते अवैध खनन पर अंकुश लगा। इसके बाद वन क्षेत्र की आबोहवा बदल गई। इसके बाद क्षेत्र में वन्य जीवों की संख्या में इजाफा हुआ।
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एसटी-15 के मूवमेंट ने दी खुशी
अभ्यारण्य क्षेत्र में डगोता नाका क्षेत्र में इस बार माह नवम्बर में सरिस्का क्षेत्र में विचरण करने वाली बाघिन एसटी-9 के शावक एसटी-15 का मूवमेंट होना इस क्षेत्र के वन्य जीव प्रेमियों के लिए खासी राहत भरी खबर रही। करीब ढाई वर्ष की उम्र वाले एसटी-15 बाघ अक्टूबर-नवम्बर माह के दौरान 40 दिनों तक नाका क्षेत्र के डगोता नाल, वायरलैस टावर व संज्यानाथ माल क्षेत्र में इसकी मूवमेंट रही। यहां 17 वर्ष बाद बाघ क ा मूवमेंट बना।
शाकाहारी वन्य जीव 2016-2017
चीतल 14-17
खरगोश 97-91
लंगूर 325-595
नीलगाय 377-406
मोर 509-881
सांभर 09-46
जंगली ***** 120-188

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इनका कहना है
सानकोटडा व डगोता नाका क्षेत्र में फे ज चतुर्थ के तहत वन्य जीवों की गणना की गई। गणना में वन्य जीवों की संख्या में हुई बढ़ोतरी नाकों पर कार्यरत वनकर्मियों की सुरक्षा में बरती मुस्तैदी तथा वन्य जीवों के लिए पानी आदि की सुविधा के माकूल इंतजामों का परिणाम रहा है।
लल्लूलाल बुटोलिया, नाका वनपाल, सानकोटडा व डगोता
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