आइपीसी में सजा— हत्या होने पर धारा 302 के तहत फांसी तक हो सकती है। — साम्प्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने वालों को धारा 153 ए के तहत तीन साल तक की सजा।उदयपुर की घटना
— गला काट कर हत्या करने और धमकी भरा वीडियो वायरल करने के मामले में पांच आरोपी पकड़े गए और जांच एनआइए व एटीएस के पास है। बताया जा रहा है कि इस घटना को साजिश के तहत अंजाम दिया गया। शनिवार को आरोपियों को पेश कर रिमांड पर लिया गया।राजसमंद की घटना
— दिसम्बर 2017 में एक व्यक्ति को गेंती से मारा, अचेत होने पर पेट्रोल डालकर जला दिया गया। उसका चेतावनी भरा वीडिया बनाकर वायरल किया गया। 56 में से अब तक 14—15 लोगों की ही गवाही हुई है।’साम्प्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने के मामले में तीन साल की सजा है, जिसे अपीलेट कोर्ट स्थगित कर सकती है। सरकार को आइपीसी में बदलाव करना चाहिए। इससे वैधानिक प्रावधान सख्त होंगे। ऐसे मामले कोर्ट के भरोसे नहीं छोड़े जा सकते।’— आशीष कुमार सिंह, अधिवक्ता
‘ऐसी घटना समाज पर हमला है। अलग कानून हो तो ठीक है। मामला विशेष कोर्ट को सौंपा जाए और विशेष जांच दल बनाया जाए। साक्ष्य अधिनियम को भी बदला जाना चाहिए।’— पानाचंद जैन, पूर्व न्यायाधीश, राजस्थान हाईकोर्ट’मामले की तह में जाकर कारण खोजने की जरूरत है। बच्चों को गीता, कुराण, बाइबल पढाए जाएं, उनमें राष्ट्र भावना जागृत की जाए। यह सामाजिक समस्या है, लेकिन सजा सख्त होनी चाहिए। कानून बनाते समय सुधारवादी सोच को प्राथमिकता दी जाए।’— विनोद शंकर दवे, पूर्व न्यायाधीश, राजस्थान हाईकोर्ट
‘आइपीसी की धारा 153 व 295 के तहत पर्याप्त सजा है। सजा के लिए नया कानून बनाने को प्राथमिकता देने के बजायसीआरपीसी के तहत प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जाए। ऐसी घटनाओं को सामान्य हत्या की श्रेणी में नहीं माना जाए। जांच के लिए अलग सेल बनाया जाए।’— गोविन्द माथुर, पूर्व मुख्य न्यायाधीश, इलाहाबाद हाईकोर्ट