प्रदेश में ये है स्थिति- राजस्थान के 14 महाविद्यालयों में प्रवेश की यही स्थिति बनी हुई है। इनमें राजकीय विधि महाविद्यालय अलवर, भरतपुर, भीलवाड़ा, बीकानेर , चूरू, धौलपुर, कोटा , पाली, सीकर, श्रीगंगानगर, बूंदी, झालावाड़, नागौर और सिरोही जिला शामिल है। बार काउन्सिल आफ इंडिया की टीम कॉलेजों का निरीक्षण कर उन्हें आगामी वर्षों के लिए मान्यता देती है। बीसीआई की टीम ने 2003 के बाद कॉलेजों का निरीक्षण ही नहीं किया। अलवर विधि महाविद्यालय के प्राचार्य सतीश यादव के अनुसार अजमेर विधि महाविद्यालय को ही बीसीआई ने मान्यता दी है, जिसके कारण अन्य महाविद्यालयों में अभी तक प्रवेश प्रक्रिया प्रारम्भ नहीं हुई है।
इस लिए नहीं मिली अनुमति- बार काउंसिल आफ इंडिया ने सभी महाविद्यालयों में पर्याप्त स्टाफ, प्राचार्य सहित मानवीय संसाधन तथा भवन आदि भौतिक संसाधन अनिवार्य होने के निर्देश दिए। बीते 3 वर्षों से बार काउंसिल आफ इंडिया इसको लेकर चेतावनी देता रहा है, लेकिन प्रदेश में मानवीय और भौतिक संसाधन पूरे नहीं किए गए हैं। राज्य सरकार की ओर से इस दिशा में कोई सार्थक प्रयास नहीं किए गए हैं।
पहले भी हो चुके हैं प्रवेश देरी से- बार काउंसिल आफ इंडिया की ओर से विधि महाविद्यालयों में आवश्यक संसाधन नहीं होने के कारण लगातार तीन वर्षों से विधि प्रथम वर्ष में प्रवेश पर रोक लगाई हुई है। शिक्षा सत्र 2015-16 में बीसीआई ने 15 दिसम्बर और 2016-17 में बीसीआई ने 11 जनवरी को मान्यता दी। सत्र 2017-18 में बीसीआई ने अभी तक पृथक वर्ष में प्रवेश की अनुमति नहीं दी है। अलवर जिले में 1 राजकीय और 3 गैर सरकारी विधि महाविद्यालय हैं।
यह कहते हैं छात्र नेता- बार काउंसिल आफ इंडिया की ओर से किए जा रहे निरीक्षण की धीमी गति के कारण एेसा हो रहा है। इस साल और विद्यार्थियों को प्रवेश के लिए इंतजार करना
होगा। – आरडी शर्मा, छात्र नेता, विधि महाविद्यालय, अलवर।
होगा। – आरडी शर्मा, छात्र नेता, विधि महाविद्यालय, अलवर।
बीसीआई से मान्यता नहीं मिलने के कारण विद्यार्थियों को हर साल परेशान होना पड़ता है। सरकार को इन कॉलेजों में आवश्यक संसाधन विकसित करना चाहिए। – देवेन्द्र यादव, छात्र नेता, विधि महाविद्यालय, अलवर।