वकील बोले काम बंद हो...सीजे ने कहा न्याय का द्वार नहीं हो सकते बंद
बार काउंसिल ने पूरे राजस्थान में 31 मार्च तक न्यायालय में नहीं जाने का किया फैसला

जयपुर।
राजस्थान उच्च न्यायालय जयपुर में गुरूवार को बार—बेंच के बीच विवाद हो गया। जहां वकीलों ने कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने से रोकने के लिए न्यायालयों को पूरी तरह से बंद करने की मांग रखी। वहीं इस मांग को मुख्य न्यायाधीश ने सिरे से नकारते हुए कहा कि न्याय के द्वार बंद नहीं किए जा सकते हैं। इसके बाद वकीलों ने नाराजगी जाहिर की और अदालत परिसर में नारेबाजी भी की। बार एसोसिएशन के साथ ही बार काउंसिल आफ राजस्थान ने पूरे प्रदेश की अदालतों में 31 मार्च तक अधिवक्ताओं के नहीं जाने का फैसला किया है।
राजस्थान उच्च न्यायालय,जयपुर में मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहान्ती की अध्यक्षता में न्यायाधीश, बार काउंसिल अध्यक्ष, बार एसोसिएशन, महाधिवक्ता और एएसजी के साथ बैठक की थी। जिसमें जोधपुर मुख्य पीठ के न्यायाधीश एवं बार प्रतिनिधि भी शामिल हुए। बैठक में 17 मार्च को कोरोना वायरस के संक्रमण रोकने के लिए उठाए गए कदमों की समीक्षा की जानी थी। बैठक शुरू होने से पहले ही वकीलों ने न्यायालय पूरी तरह से बंद रखने का फैसला ले लिया था।
बार काउंसिल ने किया प्रस्ताव पास
बार काउंसिल के अध्यक्ष सैयद शाहीद हसन ने गुरुवार दोपहर को बैठक की। जिसमें पूरे प्रदेश में अधिवक्ताओं के 31 मार्च तक न्यायालय नहीं जाने का फैसला किया।
आधे कर्मचारी अवकाश पर
उच्च न्यायालय रजिस्ट्रार जनरल ने आदेश जारी किया है जिसमें अराजपत्रित कर्मचारियों को दो समूहों में बांटने को कहा है। इनको क्रम से दो दिन काम करवाने के बाद दो दिन अवकाश दिया जाएगा।
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