इससे पहले दोपहर 3 बजे न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने मामले की सुनवाई की। सुनवाई के दौरान पायलट कैंप की ओर सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे ने बहस करते हुए कहा कि यह नोटिस असंवैधानिक है इसलिए इसे रद्द किया जाए हरीश साल्वे का कहना था कि सदन से बाहर हुई कार्यवाही के लिए स्पीकर की ओर से नोटिस जारी नहीं किया जा सकता है और इस नोटिस की कोई संवैधानिक वैधता नहीं है।
उन्होंने इस नोटिस को तुरंत रद्द करने की पैरवी की। वहीं सरकार की ओर से पक्ष रखा गया कि यह संविधान से जुडा मसला है, इस पर खंडपीठ में ही सुनवाई हो सकती है। बाद में पायलट व अन्य की ओर याचिका में संशोधन की बात की गई।
इस पर दूसरे पक्ष के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अभी अमेंडमेंट की अर्जी पेश नहीं की गई है। इस पर अदालत ने हरीश साल्वे को अमेंडमेंट अर्जी पेश करने का समय दिया। अब थोडी देर बाद फिर खंडपीठ में सुनवाई शुरू होगी।
इससे पहले सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने बाद में अदालत के बाहर मीडिया से बातचीत में कहा कि सरकार ने कैवियट दाखिल की है, हालांकि सरकार को पक्षकार नहीं बनाया गया है। एप्लिकेशन लगाई हुई थी इसलिए मैं आया था।
गौरतलब हैं कि मंगलवार की रात को सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी की याचिका पर कांग्रेस नेता सचिन पायलट और 18 विधायकों को स्पीकर सीपी जोशी की ओर से अयोग्यता संबंधी नोटिस देकर शुक्रवार तक जवाब मांगा था। इस नोटिस के खिलाफ पायलट कैंप की ओर से विधायक पीआर मीणा ने गुरुवार को राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।
इन विधायकों को नोटिस
स्पीकर की ओर से ये नोटिस सचिन पायलट, दीपेंद्र सिंह, विश्वेन्द्र सिंह, हेमाराम चौधरी, गजेंद्र शक्तावत, रमेश मीणा, इंद्राज गुर्जर, गजराज खटाना, राकेश पारीक, मुरारी मीणा, पी.आर.मीणा, सुरेश मोदी, भंवर लाल शर्मा, वेदप्रकाश सोलंकी, मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, हरीश मीणा, बृजेन्द्र ओला और अमर सिंह को भेजा गया है।