गिरोह सदस्य से बातचीत के अंश
संवाददाता: लाइसेंस बनवाना है.. यहां बोल रहे हैं कि बिना कार चलाए नहीं बनेगा.. कार चलानी नहीं आती।
गिरोह सदस्य : कब की तारीख है? आपके दस्तावेज दिखाओ।
संवाददाता : तारीख अब लेंगे। अभी तक ली नहीं है। आज से देखने आए थे।
गिरोह : कोई दिक्कत नहीं है। जिस दिन की तारीख मिले, उस दिन सुबह दस बजे आ जाना। सब काम हो जाएगा।
संवाददाता : गाड़ी चलानी पड़ेगी क्या, वह तो नहीं आती।
सदस्य : पांच-दस मिनट में ही इतना सिखा देंगे कि टेस्ट पास कर लोगे। 1500 रुपए लगेंगे। 1500 रुपए में ड्राइविंग टेस्ट पास करवा दूंगा।
संवाददाता: अगर नहीं हुआ तो..?
सदस्य : कैसे नहीं होगा, हमारा रोजाना का काम है। आप उस दिन आ जाना।
ये दिखा परिवहन कार्यालय का नजारा
परिवहन कार्यालय में ड्राइविंग टेस्ट के लिए बने ऑटोमैटिक ट्रैक पर व उसके पास कई पुरानी मारुति 800 खड़ी थी। ऑटोमैटिक ट्रैक के पास ही दूसरे ट्रैक (जहां पहले टेस्ट लिया जाता था) पर कुछ लोग लाइसेंस बनवाने आए लोगों को गाड़ी चलाना सीखा रहे थेे। गाड़ी की स्पीड इतनी सेट थी कि वह 10-20 किमी प्रति घंटे से तेज चल ही नहीं सकती। दस मिनट सीखाने के बाद उसी गाड़ी को ऑटोमैटिक ट्रैक पर लाए और आवेदक को बिठाया गया। पीछे से एक व्यक्ति ने धक्का दिया। गाड़ी कुछ दूर चली और आगे जाकर गिरोह के व्यक्ति ने कमान संभाल ली।
इसीलिए, क्योंकि अभी फेल करने की मनाही
दरअसल, लगातार चल रहे विवाद के कारण ऑटोमैटिक ट्रैक को अभी तक शुरू नहीं किया गया है। मगर ड्राइविंग टेस्ट इसी पर लिया जा रहा है। ऐसे में अभी चालकों को फेल करने की मनाही है। वहीं परिवहन आयुक्त खुद इसकी मॉनिटरिंग भी कर रहे हैं। ऐसे में कार चलाना तो जरुरी किया हुआ है लेकिन, कार कैसे चलाई जा रही है। इसे नहीं देखा जा रहा है।
– आपने मेरी जानकारी में डाला है। पूरा मामला देखेंगे। जो भी इसमें शामिल है, उनके खिलाफ कार्रवाई भी करेंगे। ऐसा किया जा रहा है तो यह गलत है।
राकेश शर्मा, आरटीओ जयपुर