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जीवन के हर पहलू के लिए बनाएं दायरा

locationजयपुरPublished: Jul 21, 2019 12:12:41 pm

Submitted by:

Kiran Kaur

दायरा या सीमा न होने की वजह से आपको केवल तनाव ही नहीं होता बल्कि वर्क परफॉर्मेंस पर भी असर पडऩे लगता है। यही वजह है कि अक्सर वर्किंग लोग मेंटल कल्टर से जूझते नजर आते हैं।

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जीवन के हर पहलू के लिए बनाएं दायरा

अगर आप प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ के बीच एक दायरा नहीं बनाते हैं तो मानसिक तनाव होना स्वाभाविक है क्योंकि ऐसा करने से घर पर दफ्तर की फिक्र और ऑफिस में घर के कामों की चिंता सताती ही रहती है। एक दायरा या सीमा न होने की वजह से आपको केवल तनाव ही नहीं होता बल्कि वर्क परफॉर्मेंस पर भी असर पडऩे लगता है। यही वजह है कि अक्सर वर्किंग लोग मेंटल कल्टर से जूझते नजर आते हैं। अगर आपको लगता है कि घर और ऑफिस के बीच कोई बाउंड्री बना देने से आपकी स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा तो ऐसा बिल्कुल नहीं है।
संदेह होने पर लिखें : जब संदेह हो, तो उसे लिखें। काम और घर दोनों के लिए एक डायरी रखें जो आपको स्पष्ट सीमाओं को बनाए रखने व निराशाओं से बाहर निकालने में मदद करे। मानसिक थकावट और निराशा आमतौर पर तब होती है जब हमारे दिमाग और शरीर पर भार पड़ता है। उन भावनाओं को अंदर से निकालकर उन्हें बाहरी दुनिया में रखने से मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होगा।
सजग रहें: घर हों या दफ्तर, हमेशा सजग रहें। जैसे कि अगर आप दफ्तर में हैं तो केवल काम पर फोकस करें और यदि घर पर बच्चों के साथ हैं तो केवल उनके साथ ही अपना क्वालिटी टाइम बिताएं। सजग रहने से आपका दिमाग एक्टिव रहता है और बेकार की बातों की ओर आपका दिमाग बार-बार नहीं जाता।
हर बात खुद से न जोड़े : कई बार आपके आसपास कोई बुरा घटना होती है और आप अनावश्यक रूप से उसे खुद से जोड़कर देखने लगते हैं, जो कि पूरी तरह से गलत है क्योंकि यह निगेटिव चीजों की ओर रुख करने के जैसा है, जो आपको तनाव के अलावा कुछ देकर नहीं जाएगा। बेहतर होगा कि पॉजिटिव सोचें व हर परिस्थिति में खुश रहने का प्रयास करें।
दोस्तों का साथ : कई बार परिस्थितियां ऐसी भी आती हैं कि आपको घर वालों से बात करना उचित नहीं लगता और आप विशेष बात को लेकर तनाव में उलझे रहते हैं। अगर किसी भी स्थिति में ऐसा हो तो अपने खास दोस्तों को याद कीजिए जो आपको समस्या का समाधान बताएं।

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