भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के सामने एक बार फिर लश्कर ए तैय्यबा और जैश ए मोहम्मद के खिलाफ कारवाई करने की मांग उठाई है।
न्यूयार्क। भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ के सामने एक बार फिर अंतराष्ट्रीय स्तर पर लश्कर ए तैय्यबा और जैश ए मोहम्मद और इनके सहयोग संगठनों के खिलाफ कारवाई करने की मांग उठाई है।
पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों को छुपने की कोई जगह ना मिले
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिध सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि पाकिस्तान आधारित इन दोनों संगठनों को प्रतिबंधित कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अल-कायदा और तालिबान जैसे आतंकी संगठनों और इनके सहयोगी लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मुहम्मद जैसे समूहों पर अनिवार्य रूप से ध्यान देना होगा और सुनिश्चित करना होगा कि इन्हें छुपने की जगह ना मिले। अकबरुद्दीन ने कहा कि ये आतंकवादी संगठन अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करते हैं और इन्हें अफगानिस्तान के बाहर शरण देने वाले सहयोगी भी मिल जाते हैं।
चीन आतंकवादियों को प्रतिबंधित करने में बन रहा है रोड़ा
सैय्यद अकबरुद्दीन ने चीन को भी इसका जिम्मेदार ठहराया। चीन ने कई बार आतंकवादी संगठनों को प्रतिबंध से बचाए रखा है। चीन ने अल-कायदा और उसके सहयोगी संगठनों के खिलाफ कारवाई से पाकिस्तान के जैश प्रमुख मसूद अजहर पर प्रतिबंध लगाने के भारत के प्रयासों को भी अवरूद्ध किया। इस साल भारत में हुए पठानकोट हमले के पीछे मसूद अजहर का ही हाथ था।
पाकिस्तान जैसा बो रहा है उसे वैसा ही काटना होगा
संयुक्त राष्ट्र में सैयद अकबरुद्दीन ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को कहा है कि वह जैसा बोएगा, वैसा ही काटेगा। मेरे दोस्त, अगर तुम्हारे अंदर जरा सी भी समझ है, तो शांति के सिवा कुछ और उगाने की कोशिश मत करो। उन्होंने पाकिस्तान को चेताया कि सीमा-पार आतंकवाद को प्रायोजित करने का नुकसान उसे भी झेलना पड़ेगा और वह जैसी हरकतें करेगा, वैसा ही नतीजा पाएगा। अकबरुद्दीन ने अफगानिस्तान में शांति स्थापित करने की कोशिशों को विफल करने के लिए पाकिस्तान की ओर से आतंकवाद के निर्यात पर हमला करते हुए कहा कि अगर हमें अफगानिस्तान में स्थायी शांति कायम करनी है, तो वहां हिंसा की वारदातों को अंजाम देने वाले आतंकी संगठनों को पड़ोसी पाकिस्तान में सुरक्षित ठिकाना मुहैया कराना बंद करना होगा।