scriptजंजीरों की जकडऩ में जिंदगी के सोलह साल | lifes sixteen years spend in iron chain | Patrika News

जंजीरों की जकडऩ में जिंदगी के सोलह साल

locationजयपुरPublished: Jul 11, 2015 09:42:00 am

Submitted by:

raktim tiwari

रणजीत का इम्तहान लेने में जुटी है।

समीपवर्ती ग्राम भोजियावास में पिछले 16 साल से रणजीत जंजीरों की जकडऩ में है। उसके परिजनों ने चाहते हुए भी खूंटे से बांध रखा है। उसकी मानसिक स्थिति एेसी नहीं की उखुला रखा जा सके। इलाज के लिएकाफी प्रयास किए, लेकिन कोई कामयाबी नहीं मिल पाई है।

सुवालाल जाट ने बताया कि पुत्र रणजीत (19) जन्म के कुछ समय बाद ही अजीबो-गरीब हरकतें करने लगा। पहले वे इसे बाल चपलता समझते रहे पर जब हरकतें बढ़ती नजर आईं तो किशनगढ़ एवं अजमेर के राजकीय चिकित्सालय में इलाज कराया। काफी इलाज के बाद भी उसकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ और चिकित्सकों ने उसे मंद्बुद्धि घोषित कर विकलांगता प्रमाण-पत्र जारी कर दिया। हालत और खराब होने पर परिजन के लिए उसे आंगन में चारपाई या खूंटे से बांधकर रखना शुरू कर दिया।

इलाज में बिक गई 6 बीघा जमीन
सुवालाल ने बताया कि रणजीत के इलाज के लिए लाखों रुपए का कर्ज ले चुके हैं। इसे चुकता करने के लिए छह बीघा जमीन बेचनी पड़ी फिर भी उसकी हालत में सुधार नहीं है। उन्होंने बताया कि रणजीत कभी-कभी इतना आक्रामक हो जाता है कि तीन-चार लोगों से भी नहीं संभलता। उसे न खाने की सुध है एवं ना ही पहनने की। वह चार भाई-बहिन में सबसे बड़ा है। दो छोटे भाई अशोक (16) हंसराज (13) व बहिन सीमा (10) भी उसकी हालत से चिंतित हैं।
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