तेजी से ‘गायब’ होते सितारे
खगोलविद और वैज्ञानिक 12 वर्षों के अध्ययन के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। जर्मन रिसर्च सेंटर फॉर जियोसाइंसेस के वैज्ञानिक और अध्ययन के लेखक डॉ. क्रिस्टोफर कायबा के अनुसार, शहरी वातावरण में लोगों के लिए जिस तेजी से सितारे गायब हो रहे हैं, वह बेहद नाटकीय है। हर साल दुनियाभर में प्रकाश प्रदूषण के कारण आसमान की चमक में औसतन 10 फीसदी की वृद्धि हुई है। यह दर आठ साल में आसमान की चमक को दोगुना करने के बराबर है। प्रकाश प्रदूषण से न सिर्फ मनुष्य बल्कि जानवर भी प्रभावित हो रहे हैं।
प्रकाश प्रदूषण का गहरा असर
विशेषज्ञों के अनुसार, रात में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की छवियों और पृथ्वी के वीडियो देखते हुए लोग आमतौर पर शहर की रोशनी से प्रभावित होते हैं। लेकिन, वे नहीं समझते कि ये प्रदूषण की छवियां हैं। हालांकि हाल के वर्षों में प्रकाश प्रदूषण में सुधार होने की उम्मीद थी क्योंकि कई विकसित देशों में पुरानी स्ट्रीट लाइट्स की जगह आधुनिक एलईडी का प्रयोग हो रहा है, जिनका प्रकाश नीचे की ओर होता है। लेकिन, रोशनी के कई प्रकार होते हैं जैसे स्ट्रीट लाइट्स, सजावट और विज्ञापनों की लाइट्स आदि। ये समग्र रूप से आकाश की चमक को बदतर बना रहे हैं।
अलग-अलग दर से चमक रहा आसमान
दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में आसमान अलग-अलग दर से चमक रहा है। अध्ययन में पाया गया है कि यूरोप में यह गति 6.5 फीसदी प्रति वर्ष है, जबकि उत्तरी अमरीका में आसमान की रात की चमक हर साल 10.4 फीसदी बढ़ रही है। हालांकि शोधकर्ताओं के पास विकासशील देशों का पर्याप्त डेटा उपलब्ध नहीं था, जहां यह बदलाव अधिक हो रहा है। यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के पिछले साल आए एक अध्ययन के अनुसार, एलईडी लाइटिंग की अपेक्षाकृत कम लागत भी समस्या में योगदान दे रही है।
तारों का टिमटिमाना हुआ कम