माखन चोर के अंदाज में नन्हे कान्हा।
श्रीकृष्ण को सबसे प्रिय उनकी बांसुरी थी।
माथे पर मोरपंख का मुकुट भी कान्हा की पहचान है।
सबको भाता है कान्हा का नटखट और चंचल रूप।
राधा से कान्हा की ठिठोली के किस्से भी खूब चर्चित हैं।
माता यशोदा से अपनी शैतानियों को छिपाने में भी कान्हा खूब माहिर थे।
बांसुरी बजाते समय कान्हा सबकुछ भुला उसकी धुन में ही खो जाते थे।
हर घर में जन्माष्टमी के पर्व पर नन्हें बच्चों को कान्हा की तरह सजाया जाता है।
श्रीकृष्ण से पहले राधा रानी की पूजा अर्चना की जाती है। राधा बनी नन्हीं बच्चियां भी किसी से कम नहीं दिख रही हैं।