जवाहर कला केंद्र (JKK) की साहित्यक गतिविधियों (Literature activities) के तहत कृष्णायन में ‘लिटरेचर एंड द कंटेम्पररी सोसाइटी’ (Literature and the Contemporary Society) थीम पर मंगलवार को आयोजित इंटरनेशनल सिम्पोजियम में जाने माने कवि डॉ. अमित रंजन ने यह बात कही। वे आर वी टू व्हररड फॉर वड्र्स विषय पर सम्बोधित कर रहे थे।
डॉ. रंजन ने आगे कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है (Literature is Mirror of society) । वर्तमान में हम रिसर्च वर्क के स्थान पर सोशल मीडिया (social media) पर जो कुछ देखते हैं, उसी के आधार पर अपनी राय बना लेते हैं। हालांकि, नवीन तकनीक एवं सोशल मीडिया का उपयोग करना गलत नहीं है, लेकिन हमें इसे अपने अनुकूल बनाना होगा और सोशल मीडिया अधिक सृजनात्मक (creative) उपयोग करना सीखना होगा।
सिम्पोजियम के दूसरे वक्ता साइप्रस के प्रोफेसर स्टीफ नोस स्टीफ नाइड्स ने ए प्रोजेक्ट ऑफ कॉस्मोपोएटिक्स और कॉस्मोपॉलिटिक्स थीम (Cosmopolitics theme) पर चर्चा करते हुए कहा कि मुख्य रूप से तीन प्रकार की भाषाएं (language) होती हैं। वर्नाक्युलर, रेफ रेंशियल और कॉस्मोपॉलिटन। कॉस्मोपॉलिटन दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसमें कॉसमॉस का अर्थ ब्रह्मांड होता है और पोलिस एक प्राचीन राज्य था। इस प्रकार कॉस्मोपॉलिटन का अर्थ वह वस्तु जिसमें सम्पूर्ण ब्रह्मांड समाहित होता है।
प्रोफेसर स्टीफनाइड्स ने आगे कहा कि जब तक भाषा (language) का विकास नहीं होता तब तक कोई संस्कृति (culture) विकसित नहीं हो सकती। सिम्पोजियम के दूसरे सैशन में कविता पाठ एवं परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें डॉ. अमित रंजन ने अपने पोएट्री कलेक्शन फइंड मी लियोनार्ड कोहेन, आई एम ऑल मोस्ट थर्टी से मिसिंग फॉलोइंग और ढाका जैसी कविताएं सुनाई। प्रोफेसर स्टीफ नोस स्टीफ नाइड्स ने ब्लू मून (blue moon) इन राजस्थान कविताएं सुनाईं।